छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में इन दिनों छोटे बच्चों में एक नए वायरस का असर देखने को मिल रहा है। अस्पतालों में पहुंचने वाले अधिकतर बच्चों में एक ही तरह के लक्षण के रूप में इस संक्रमण का असर देखा जा रहा है। जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने इस वायरस से बचाव और जागरूकता के निर्देश दिए हैं। डॉक्टरों ने इस वायरस को कॉक्सैकी वायरस बताया है। जिसके इलाज में सावधानी बरतने की आवश्यकता बताई जा है।
एक से पांच साल तक के बच्चों में लक्षण
दरअसल दुर्ग समेत आसपास के जिलों के अस्पतालों में शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार हर दिन औसतन 25 प्रतिशत बच्चे काक्सैकी से संक्रमित बच्चे ही पहुंच रहें है। शिशु रोग विशेषज्ञों के मुताबिक बारिश के सीजन में सक्रिय काक्सैकी वायरस(Coxsackievirus) के कारण ऐसा हो रहा है। इससे बचाव के लिए परिजनों को सतर्क रहने की जरूरत है। इसकी सही पहचान कर बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की सलाह डॉक्टर दे रहें हैं।
बुखार के बाद मुंह में लाल दाने हैं इसके लक्षण
एक से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों में काक्सैकी वायरस के लक्षण देखा जा रहा है। बच्चों प्रारम्भिक तौर पर बुखार आते हैं उसके बाद शरीर पर और मुंह के अंदर लाल दाने आने की शिकायतें सामने आ रही है। इस पीड़ित बच्चों में चिड़चिड़ेपन की भी लक्षण हैं। इसकी चपेट में आने वाले बच्चों के ही बदन व मुंह में लाल दाने आ रहे हैं। डॉक्टरों ने बताया इससे ग्रसित होने पर शुरुआती दौर में चेचक जैसे दाग शरीर पर नजर आते हैं लेकिन यह चेचक नहीं होता है।सामान्य इलाज से बच्चों को राहत मिल जाती है लेकिन इसमें सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
जिला स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए निर्देश
जब भी कोई बच्चा कॉक्सैकी वायरस की चपेट में आता है। सबसे पहले उसे बुखार आता है। इसी के साथ ही उसकी भूख कम हो जाती है। आगे गले में खरास और खांसी आने लगती है। इलाज शुरू नहीं हुआ तो पेट, पीठ, कमर के नीचे पीछे और मुंह के अंदर लाल दाने आ जाते हैं। मुंह के अंदर लाल दाने होने से बच्चों का खाना-पीना छूट जाता है। जिला स्वास्थ्य विभाग ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में छोटे बच्चों में इस वायरस के लक्षण दिखने पर उन्हें विशेष उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ऐसे बच्चों को ट्रैस करने के निर्देश भी स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए हैं।
जानलेवा नहीं है लेकिन सावधानी रखना जरूरी
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रूपेश अग्रवाल का कहना है कि ‘बारिश सीजन के कारण कॉक्सैकी वायरस सक्रिय हुआ है। इसके चपेट में आने वाले बच्चों को बुखार के बाद बदन और मुंह में लाल दाने आ रहे हैं। यह जानलेवा तो नहीं लेकिन संक्रामक बीमारी है। मुंह में दाने होने से बच्चे खाना-पीना छोड़ देते हैं। इससे कमजोरी आती है, जो कि दूसरी बीमारियों का जनक है। परिजन इसे चेचक समझने की गलती करते हैं। तत्काल उन्हें किसी डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। लंबे समय बाद यह वायरस सक्रिय हुआ है। इसलिए ज्यादा सावधीन बरतनी की जरूरत है।