
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में फिजियोथेरेपी चिकित्सा आज के दौर में बेहद आवश्यक हो गई है। शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और पुनर्वास के लिए इस चिकित्सा पद्धति की मांग तेजी से बढ़ी है। विशेष रूप से मान्यता प्राप्त कॉलेजों से प्रशिक्षित और योग्य फिजियोथेरेपी चिकित्सकों की आवश्यकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में, छत्तीसगढ़ में फिजियोथेरेपी का पांच वर्षीय बैचलर्स कोर्स आयुष विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जाता है, जिसमें प्रवेश के लिए नीट (NEET) परीक्षा अनिवार्य है। इसके अलावा, मास्टर्स डिग्री के लिए भी कई विशेष शाखाओं में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जैसे रिहैबिलिटेशन, ऑर्थोपेडिक, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, गाइनोकॉलॉजी आदि।
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में केवल दो कॉलेजों को आयुष विश्वविद्यालय द्वारा फिजियोथेरेपी कोर्स संचालित करने की मान्यता दी गई है। पहला, गवर्नमेंट फिजियोथेरेपी कॉलेज, रायपुर और दूसरा अपोलो कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी, अंजोरा, दुर्ग। लेकिन इन मान्यता प्राप्त संस्थानों के विपरीत, कई निजी संस्थान और तकनीकी विश्वविद्यालय बिना किसी मान्यता के फर्जी तरीके से फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम चला रहे हैं, और छात्रों से पैसे लेकर उन्हें फर्जी डिग्रियां बांट रहे हैं।
हाल ही में रायपुर के एप्पल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के खिलाफ एक निजी न्यूज पोर्टल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ कि यह संस्थान पिछले चार वर्षों से बिना मान्यता के फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम चला रहा था। इस मामले की शिकायत इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट (आई.ए.पी) की छत्तीसगढ़ शाखा द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय और संबंधित विभागों को की गई है, और जल्द से जल्द जांच की मांग की गई है।
छत्तीसगढ़ में ऐसे कई अन्य संस्थान भी संचालित हैं जो बिना मान्यता के फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहे हैं। इनमें एपीजे इंस्टिट्यूट, कांकेर, छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज, बिलासपुर और रायगढ़, आचार्य अभिलाष पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट, बेमेतरा, एम के इंस्टिट्यूट पैरामेडिकल कॉलेज, रायपुर आदि शामिल हैं। ये संस्थान फर्जी तरीके से छात्रों को डिग्रियां बांट रहे हैं, जिससे न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, बल्कि अप्रशिक्षित चिकित्सक मरीजों की सेहत से भी खेल रहे हैं।
फर्जी डिग्रियों का यह कारोबार समाज और स्वास्थ्य क्षेत्र दोनों के लिए घातक है। अप्रशिक्षित व्यक्ति न केवल मरीजों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य क्षेत्र की साख को भी धूमिल कर सकता है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट (आई.ए.पी) की छत्तीसगढ़ शाखा इस मुद्दे को लगातार उठा रही है, और जल्द ही इन शिक्षा माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है।
इसके अलावा, फिजियोथेरेपी को पैरामेडिकल कोर्स के रूप में प्रचारित करना भी गलत है। केंद्र सरकार ने फिजियोथेरेपी की महत्ता को देखते हुए फिजियोथेरेपिस्टों को स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करने का अधिकार दिया है, और इसे हेल्थ केयर प्रोफेशनल की श्रेणी में रखा है, न कि पैरामेडिकल की। राज्य में फिजियोथेरेपी की एक स्वतंत्र काउंसिल है, जो पैरामेडिकल काउंसिल से अलग है। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य में एक अलाइड एंड हेल्थ केयर प्रोफेशनल काउंसिल बननी है, जिसका गठन प्रक्रियाधीन है।
छत्तीसगढ़ के सभी अस्पतालों और क्लीनिक संचालकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने अस्पताल में फिजियोथेरेपी चिकित्सकों की सेवाएं लेने से पहले उनकी डिग्री और काउंसिल पंजीकरण की जांच अवश्य कर लें। यदि कोई छात्र फर्जी संस्थानों का शिकार बन चुका है, तो वह इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट की छत्तीसगढ़ शाखा द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 9479045799 पर संपर्क कर सकता है।
फर्जी डिग्रियों का यह खेल रोकने के लिए राज्य सरकार और संबंधित विभागों को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि शिक्षा माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई हो सके और समाज को योग्य और प्रशिक्षित फिजियोथेरेपी चिकित्सक मिल सकें।