मोतिमपुर (सरगांव), जिला मुंगेली स्थित श्री अनुरागी धाम में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला अखंड नवधा रामायण समारोह, श्रद्धा और भक्ति का ऐसा अनूठा संगम है, जो समाज में अध्यात्म की अलख जगाए रखता है। इस वर्ष भी 29 दिसंबर 2024 को शुरू हुआ यह समारोह 7 जनवरी 2025 को हवन, सहस्त्रधारा (कन्या भोज), और विशाल भंडारे के साथ सम्पन्न होगा।
समारोह के दौरान 1 जनवरी को एक भव्य कलश यात्रा का आयोजन हुआ, जिसमें शिवनाथ और खारुन नदी के संगम से जल लाकर, गाजे-बाजे के साथ कथा स्थल तक कन्याओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आस-पास के गांवों से आई सैकड़ों कन्याओं की भागीदारी ने इस यात्रा को विशेष बना दिया। श्रद्धालुओं के हृदयों में स्वामी अनुरागी जी के प्रति गहरी आस्था इस पूरे आयोजन में स्पष्ट झलकती है।
नवधा रामायण का 19वां वर्ष
इस समारोह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां दूर-दराज से आई मानस मंडलियां अखंड नवधा रामायण का पाठ करती हैं। स्वामी अनुरागी जी के अनुयायी, न केवल छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से बल्कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से भी यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। यहां तक कि विदेशों में रहने वाले श्रद्धालु भी इस अवसर पर विशेष रूप से शामिल होने आते हैं।
यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को प्रोत्साहित करता है, बल्कि सामूहिकता, सेवा, और मानवीय मूल्यों की भावना को भी सशक्त बनाता है। इस साल यह आयोजन अपने 19वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है।
स्वामी अनुरागी जी: दिव्यता के प्रतीक
स्वामी अनुरागी जी का जीवन एक प्रकाश स्तंभ के समान है। 2 जनवरी 1915 को जन्मे स्वामी जी ने अपने 92 वर्षों के लौकिक जीवन में भक्ति, तप, और तंत्र साधना के माध्यम से अध्यात्म का अद्भुत स्रोत स्थापित किया। उन्होंने अपनी दिव्य ऊर्जा और गुरुकृपा से न केवल हजारों अनुयायियों को आलोकित किया, बल्कि उनके जीवन में चेतना और सार्थकता का संचार भी किया।
6 जनवरी 2007 को ब्रह्मलीन हुए स्वामी अनुरागी जी का जीवन समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी शिक्षाओं और साधना का प्रभाव आज भी उनके अनुयायियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
स्नेहांचल की धारा
स्वामी जी ने अपने स्नेह और कृपा से अनुरागी धाम को एक ऐसा केंद्र बना दिया, जहां न केवल भक्ति और श्रद्धा का समागम होता है, बल्कि लोगों को अपने जीवन को नया दृष्टिकोण देने की प्रेरणा भी मिलती है। उनकी दिव्यता और आशीर्वाद से यह स्थान आज लाखों श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक उन्नति का केंद्र बना हुआ है।
अनुरागी धाम में आयोजित होने वाला अखंड नवधा रामायण समारोह और स्वामी अनुरागी जी का दिव्य जीवन इस बात का प्रतीक है कि भक्ति, सेवा, और साधना के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। यह धाम केवल एक स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था का केंद्र है, जहां श्रद्धालु अपनी आत्मा को जागृत करने और जीवन की सार्थकता को समझने के लिए आते हैं।