
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ – आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) एवं जाति प्रमाण पत्र बनाए जाने में हो रही अनदेखी और भेदभाव के खिलाफ बिलासपुर मुस्लिम समाज के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को जिलाधीश को ज्ञापन सौंपते हुए अपनी पीड़ा और नाराजगी जाहिर की।
हाल के समय में बिलासपुर जिले की विभिन्न तहसीलों से लगातार यह शिकायतें सामने आ रही हैं कि मुस्लिम समाज के पात्र लोगों को EWS प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है, साथ ही विभिन्न नियमों का हवाला देकर पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र भी जारी करने से इंकार किया जा रहा है। इससे समाज में भारी असंतोष व्याप्त है।
प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधीश से मुलाकात कर बताया कि शासन की गाइडलाइन के अनुसार जिन लोगों के पास 5 एकड़ से कम कृषि भूमि, 1000 वर्ग फीट से कम का मकान और सालाना आय आठ लाख रुपये से कम है, वे EWS प्रमाण पत्र के लिए पात्र हैं। इसके बावजूद मुस्लिम समाज के पात्र लोगों को या तो प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा या आवेदन ही दर्ज नहीं किए जा रहे हैं।
मुस्लिम समाज के नेताओं का कहना है कि पहले ही मुसलमानों को आरक्षण में काफी कटौती का सामना करना पड़ा है, अब EWS जैसी योजना में भी नियमों के बहाने उन्हें दरकिनार करना सरासर अन्याय है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारीगण “प्रशासनिक दादागिरी” दिखा कर समाज के पात्र युवाओं और छात्रों को उनका अधिकार नहीं दे रहे, जिससे कई छात्र उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले से वंचित हो सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों से आए समाज के प्रतिनिधियों यासीन खान (रतनपुर) और नूर अली (सीपत) ने बताया कि तहसीलों में मुसलमानों के EWS आवेदन दर्ज ही नहीं किए जा रहे हैं और अधिकारी गाइडलाइन की अस्पष्टता का बहाना बनाकर टालमटोल कर रहे हैं, जबकि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि आर्थिक रूप से कमजोर अनारक्षित वर्ग को यह प्रमाण पत्र मिलना चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल सुश्री शहजादी कुरैशी (पार्षद), समीर अहमद (बबला), शिबली मेराज खान, शेख निज़ामुद्दीन, फारुख खान, शेरू असलम, आदिल आलम खेरनी, आसिफ मेमन, इमरान खोखर, अयाज़ खान, इखलाक खान, मजहर खान, जीशान खान, काशिफ अली, आदिल खान समेत अन्य समाजजन उपस्थित थे।
जिलाधीश ने प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि इस विषय पर जल्द ही नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी और संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
मुस्लिम समाज ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो समाज की विस्तारित बैठक आयोजित कर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी। समाज के वरिष्ठजनों के नेतृत्व में यह आंदोलन निरंतर चलेगा ताकि समाज के भविष्य—बच्चों और युवाओं—को उनका हक मिल सके।