बिलासपुर स्थित यूनिटी हॉस्पिटल में एक नर्सिंग छात्रा की सर्जरी के दौरान कथित लापरवाही के कारण मौत हो जाने का मामला सामने आया है। मृतका किरण वर्मा के गले में थायराइड गांठ की सर्जरी के लिए एनेस्थीसिया दिया गया था, जिसके बाद वह कोमा में चली गई और दो दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रायपुर ने जांच के निर्देश दिए। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) द्वारा एक विशेष जांच समिति का गठन किया गया, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों को शामिल किया गया। समिति के प्रमुख सदस्यों में शामिल हैं:
- डॉ. अनिल गुप्ता – भेषज विशेषज्ञ एवं सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय बिलासपुर
- डॉ. विजय मिश्रा – नोडल अधिकारी, नर्सिंग होम एक्ट
- डॉ. मनीष श्रीवास्तव – ईएनटी विशेषज्ञ, जिला चिकित्सालय
- डॉ. रेणुका सेमुएल – स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं निरीक्षण दल की सदस्य
- डॉ. उमेश साहू – निश्चेतना विशेषज्ञ
- डॉ. सौरभ शर्मा – नर्सिंग होम एक्ट निरीक्षण दल के सदस्य
जांच समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार कर जिला प्रशासन को सौंप दी है। रिपोर्ट में घटना की गंभीरता को स्वीकार करते हुए आगे की विस्तृत जांच की सिफारिश की गई है।
प्रारंभिक रिपोर्ट को देखते हुए बिलासपुर कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से यूनिटी हॉस्पिटल में 15 दिनों के लिए नए मरीजों की भर्ती और ऑपरेशन थिएटर के संचालन पर रोक लगा दी है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि अस्पताल की लापरवाही सिद्ध होती है, तो छत्तीसगढ़ राज्य उपचर्या गृह एवं रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम 2010 एवं नियम 2013 के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना कई सवाल खड़े करती है:
- क्या एनेस्थीसिया देने में कोई चूक हुई?
- क्या अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ ने सही प्रोटोकॉल का पालन किया?
- क्या सर्जरी से पहले मरीज की पर्याप्त जांच की गई थी?
विशेषज्ञों का मानना है कि एनेस्थीसिया से जुड़ी जटिलताओं के मामले दुर्लभ होते हैं, लेकिन संभावित होते हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि मरीज की स्वास्थ्य स्थिति का पूर्व आकलन सही तरीके से किया जाए।
स्वास्थ्य विभाग की विस्तृत जांच के बाद ही यह तय होगा कि यूनिटी हॉस्पिटल पर कोई और सख्त कार्रवाई होगी या नहीं। यदि अस्पताल की गलती साबित होती है, तो इसे दंडित किया जा सकता है और मरीजों की सुरक्षा के लिए नए नियम लागू किए जा सकते हैं।
इस घटना ने चिकित्सा क्षेत्र में सुरक्षा और जवाबदेही को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। मरीजों और उनके परिवारों को अस्पतालों की जवाबदेही तय करने के लिए सशक्त किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।