छत्तीसगढ़ में पिछले 10 महीने में 141 किसानों ने आत्महत्या की है। विधानसभा में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने राज्य में पिछले साल अप्रैल से इस वर्ष एक फरवरी तक किसानों की आत्महत्या और इसके कारणों को लेकर सवाल किया। जिसके जवाब में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने शुक्रवार को बताया कि राज्य में पिछले 10 महीने में 141 किसानों ने आत्महत्या की है।
कृषि मंत्री रवींद्र चौबे के जवाब के बाद भाजपा ने प्रत्येक मामले की जांच करने और मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की। चौबे ने बताया कि कोंडागांव जिले के किसान धनीराम मरकाम की आत्महत्या के प्रकरण में अभिलेख दुरूस्ती और फसल गिरादावरी में त्रुटि पाए जाने पर पटवारी डोंगर नाग को निलंबित किया गया है।
मंत्री के जवाब के बाद कौशिक ने कहा पिछले 10 महीनों के दौरान बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या की है और मंत्री बता रहे हैं कि केवल एक ही प्रकरण में पटवारी को निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या के सभी प्रकरणों की जांच होनी चाहिए तथा जांच के बाद मृतकों के परिजन को मुआवजा देना चाहिए।
मंत्री चौबे ने कहा कि किसानों की आत्महत्या राजनीति करने का विषय नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य है कि भाजपा इस मामले में राजनीति करना चाहती है। उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा के शासन के दौरान भी किसानों ने आत्महत्या की है लेकिन तब भी ऐसे मामलों में मुआवजा देने के बारे में नहीं सोचा गया।
इस दौरान कांग्रेस के विधायकों ने पिछली सरकार के दौरान किसान आत्महत्या की घटनाओं का उल्लेख किया और कहा कि तब मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया गया था। इसके बाद किसान आत्महत्या को लेकर सरकार और विपक्षी दल के सदस्यों के बीच नोक- झोंक शुरू हो गई। वहीं, भाजपा ने मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की। बाद में सरकार के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया।