बिलासपुर। बिलासपुर के कोटा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पटैता के कोरोपारा में शुक्रवार को नियमित टीकाकरण के दौरान बीसीजी (BCG) का टीका लगने के बाद दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। इस घटना के बाद छह अन्य बच्चों की भी तबीयत बिगड़ गई है, जिन्हें तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
घटना का विवरण
शुक्रवार की सुबह नौ बजे, पटैता के कोरोपारा आंगनबाड़ी केंद्र में बीसीजी टीकाकरण अभियान चलाया गया, जिसमें आठ नवजात शिशुओं को टीका लगाया गया। अधिकारियों ने टीकाकरण के बाद बताया कि टीका लगने से बच्चों को बुखार हो सकता है, जिसके लिए दवा दी गई। शाम होते-होते, दो दिन के एक बच्चे की हालत बिगड़ने लगी और उसकी मौत हो गई। इसी प्रकार, शनिवार को एक दो महीने के बच्चे ने भी दम तोड़ दिया।
मौत के कारण और स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
मौत के बाद स्थानीय लोगों में टीके के साइड इफेक्ट को लेकर चिंता बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि जिन बच्चों को टीका लगाया गया था, उनमें से कुछ के चेहरे नीले पड़ गए थे, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा करता है।
स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया और शनिवार की देर शाम डॉक्टरों की एक टीम गांव पहुंची। बाकी छह बच्चों को तत्काल चिकित्सा सहायता के लिए जिला अस्पताल भेजा गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि टीके की गुणवत्ता और बैच नंबर की जांच की जा रही है, ताकि मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके।
स्थानीय प्रतिक्रिया और राजनीतिक आरोप
इस घटना पर पूर्व नगर विधायक शैलेष पांडेय ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत टीकाकरण अभियान में सही तरीके से निगरानी न होने के कारण हुई है। उन्होंने प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग भी की है।
जांच और आगे की कार्रवाई
इस गंभीर घटना के बाद, जिला प्रशासन ने मौजूदा टीकाकरण अभियान को स्थगित कर दिया है और टीके के बैच नंबर की जांच शुरू कर दी है। हालांकि, मृतक बच्चों का पोस्टमार्टम नहीं हो सका, जिससे मौत के असली कारणों का पता लगाने में मुश्किल हो रही है। बाकी बच्चों की स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है, लेकिन उन्हें निगरानी में रखा गया है।
बिलासपुर की इस घटना ने टीकाकरण अभियान की सुरक्षा और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब स्वास्थ्य विभाग के सामने यह चुनौती है कि वह इस घटना की जांच कर सही कारणों का पता लगाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाए। जनता और प्रभावित परिवार न्याय की मांग कर रहे हैं, और प्रशासन पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह इस मामले में पूरी पारदर्शिता और तत्परता के साथ काम करे।