बिलासपुर, छत्तीसगढ़। कोटा ब्लाक के ग्राम पटैता कोरीपारा में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एक टीकाकरण शिविर के दौरान दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई, और पांच अन्य शिशु गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती किए गए हैं। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है, और इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) ने एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया है।
ग्राम पटैता कोरीपारा में टीकाकरण शिविर का आयोजन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया था, जिसमें भाग लेने वाले नवजात शिशुओं को टीका लगाया गया। लेकिन इस टीकाकरण के बाद दो बच्चों की मौत हो गई और पांच अन्य बच्चे गंभीर स्थिति में पहुंच गए। यह मामला गंभीर लापरवाही का संकेत देता है और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति पर सवाल खड़े करता है।
पीसीसी की त्वरित कार्रवाई:
इस दर्दनाक घटना को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने तुरंत एक जांच समिति का गठन किया है। इस समिति का नेतृत्व कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव करेंगे। उनके साथ अन्य पांच सदस्य भी इस जांच में शामिल हैं, जिनमें मस्तूरी के विधायक दिलीप लहरिया, पूर्व विधायक शैलेष पांडेय, बिलासपुर जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी, महिला कांग्रेस जिला अध्यक्ष सीमा धृतेश, और कोटा ब्लॉक अध्यक्ष आदित्य दीक्षित शामिल हैं।
जांच समिति की जिम्मेदारी:
इस जांच समिति को निर्देश दिए गए हैं कि वे अविलंब प्रभावित गांव का दौरा करें, पीड़ित परिवारों और ग्रामीणों से मिलकर घटनास्थल की स्थिति का जायजा लें, और स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत को समझें। समिति को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट पीसीसी को सौंपनी होगी, जिससे मामले की सच्चाई सामने आ सके और जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई की जा सके।
घटना की गंभीरता:
यह घटना केवल एक स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल खड़े करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति और वहां के निवासियों की सुरक्षा को लेकर यह घटना एक गंभीर चेतावनी है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सही ढंग से संचालित करने में कितनी गंभीर चूक हो सकती है।
जांच समिति की रिपोर्ट के बाद ही इस घटना के सभी पहलुओं पर रोशनी डाली जा सकेगी, लेकिन अभी के लिए यह साफ है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने दो मासूम जानें ले लीं और अन्य बच्चों की जान खतरे में डाल दी। यह घटना प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए एक गंभीर संदेश है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ और सुरक्षित बनाने की तत्काल आवश्यकता है।