बिलासपुर के तिफरा क्षेत्र में एक भूमि विवाद के कारण हाल ही में हुए घटना ने सभी का ध्यान खींचा है। यह मामला तब शुरू हुआ जब प्रार्थी लक्ष्मण सिंह ठाकुर ने 08 जुलाई, 2024 को पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में उन्होंने बताया कि उनकी भूमि को लेकर राहुल सिंह और मुकेश साहू नामक व्यक्तियों के साथ पहले एक इकरारनामा हुआ था, परंतु बाद में व्यक्तिगत कारणों से लक्ष्मण सिंह ने उक्त भूमि को न बेचने का निर्णय लिया और इकरार को शून्य कर दिया।
इकरारनामा रद्द होने के बाद, 01 जुलाई 2024 को आरोपी राहुल सिंह और मुकेश साहू ने प्रार्थी की भूमि पर आकर गाली-गलौच और मारपीट की। आरोपियों ने खुद को क्षेत्र का ‘दादा’ बताते हुए, प्रार्थी से एक लाख रुपये की मांग की और धमकी दी कि जब तक वह उन्हें “खर्चा-पानी” नहीं देंगे, वे उनकी जमीन पर कब्जा कर लेंगे। स्थिति तब गंभीर हो गई जब आरोपियों ने प्रार्थी के कॉलर को पकड़कर उसे धमकाने और झूमाझटकी करने का प्रयास किया।
प्रार्थी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) उमेश कश्यप और सीएसपी सिविल लाइन उमेश गुप्ता के मार्गदर्शन में सिरगिट्टी थाना प्रभारी विजय चौधरी के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई।
जांच के दौरान, पुलिस ने आरोपी राहुल सिंह की पुख्ता जानकारी जुटाई और उसे घेराबंदी कर गिरफ्तार कर लिया गया। न्यायिक रिमांड पर उसे अदालत में पेश किया गया। हालांकि, मामले के दूसरे आरोपी मुकेश साहू की अभी तलाश जारी है। पुलिस की टीम उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयासरत है।
इस मामले में सिरगिट्टी थाना प्रभारी निरीक्षक विजय चौधरी, सहायक उपनिरीक्षक विरेन्द्र सिंह नेताम, आरक्षक केशव मार्को, पवन बंजारे और देवेन्द्र साहू की अहम भूमिका रही। उनकी त्वरित और सटीक कार्रवाई से यह सुनिश्चित हो सका कि कानून का पालन सही तरीके से हो और पीड़ित को न्याय मिले।
बिलासपुर का यह मामला दर्शाता है कि किस प्रकार भूमि विवादों के कारण हिंसक घटनाएं घट सकती हैं, लेकिन पुलिस की त्वरित कार्रवाई से अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सकता है।