बिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल के नेतृत्व में विश्वविद्यालय परिसर में बुधवार को इको-फ्रेंडली एवं किफायती ईंधन से संचालित ई-बाईक डी92 (EV Bike D92) का भव्य लोकार्पण किया गया। यह बाईक विश्वविद्यालय के इन्क्यूबेशन सेंटर एवं एरकी मोटर्स (Erkey Motors) के सहयोग से तैयार की गई है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को नई गति प्रदान करती है।
कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने इस अवसर पर इन्क्यूबेशन सेंटर की टीम को बधाई देते हुए इसे विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि यह न केवल तकनीकी नवाचार का उदाहरण है, बल्कि व्यावसायिक उत्पादन की दिशा में विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। यह ई-बाईक पर्यावरण के अनुकूल, ईंधन-किफायती और आम जनता के लिए सुलभ कीमत पर उपलब्ध है, जिससे हर वर्ग को लाभ होगा।
ई-बाईक डी92 की विशेषताएं:
- एक बार चार्ज करने पर 150 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम।
- अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा।
- चार्जिंग का समय केवल 3 घंटे।
- प्रदूषण रहित, सुरक्षित और पूरी तरह से विश्वविद्यालय परिसर में डिज़ाइन एवं निर्मित।
- प्रारंभिक कीमत 1.5 लाख से 1.8 लाख रुपए के बीच।
इसके अतिरिक्त, इन्क्यूबेशन सेंटर में विकसित ई-स्कूटी भी प्रस्तुत की गई है, जो एक बार चार्ज पर 80 किलोमीटर तक चल सकती है।
व्यवसायिक उत्पादन की ओर बड़ा कदम:
एरकी मोटर्स ने जानकारी दी कि अभी तक इस बाईक के 300 से अधिक ऑर्डर मिल चुके हैं। इनका उत्पादन विश्वविद्यालय परिसर में ही बड़े पैमाने पर किया जाएगा। यह प्रयास विश्वविद्यालय के इन्क्यूबेशन इकोसिस्टम की सफलता का प्रमाण है और विद्यार्थियों के नवाचार को व्यावसायिक धरातल पर उतारने की दिशा में एक ठोस पहल है।
स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना:
कुलपति प्रो. चक्रवाल के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना के तहत लगभग 5,000 विद्यार्थी पंजीकृत हैं, जो बेकरी उत्पाद, मशरूम उत्पादन, हर्बल उत्पाद, बांस एवं गन मेटल से बनी कलाकृतियों, सैनिटेशन उत्पाद आदि से जुड़े स्वावलंबन प्रकल्पों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। उद्देश्य है कि विद्यार्थी शिक्षा के साथ-साथ आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मजबूत बनें।
ई-बाईक डी92 का यह लोकार्पण केवल एक वाहन का शुभारंभ नहीं, बल्कि एक सोच, एक विजन और एक मिशन की शुरुआत है — एक ऐसे भारत की, जो स्वदेशी तकनीक, पर्यावरणीय संवेदनशीलता और युवा शक्ति के बलबूते आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। विश्वविद्यालय का यह नवाचार न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।