बिलासपुर। शहर के चर्चित रियल एस्टेट फर्म अमलजोत डेवलपर्स कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ नगर निगम ने सख्त कार्रवाई करते हुए उसका कॉलोनाइज़र लाइसेंस निलंबित कर दिया है। यह निर्णय उस समय लिया गया जब कंपनी के एक साझेदार राजेन्द्र मोटवानी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के गंभीर अपराध दर्ज किए गए।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस विभाग से नगर निगम को एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें बताया गया कि पियूष गंगवानी की शिकायत पर राजेन्द्र मोटवानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471 एवं 34 के तहत मामला दर्ज है। इसके बाद निगम प्रशासन ने तुरंत प्रभाव से यह कदम उठाया।
नगर निगम से मिली जानकारी के मुताबिक, अमलजोत डेवलपर्स में चार भागीदार हैं —
- भूपेन्द्र सिंह ठाकुर पिता सुखदेव सिंह ठाकुर, निवासी महामाया चौक, शिवघाट, सरकण्डा
- राजेन्द्र मोटवानी पिता दुलाराम मोटवानी, निवासी धानमंडी रोड, तोरवा चौक
- अजय गुरुवानी पिता प्रकाश गुरुवानी, निवासी चंदेला विहार, प्रियदर्शिनी नगर
- अंकिता छाबड़ा पति सन्नी छाबड़ा, निवासी पंजाबी कॉलोनी, दयालबंद
इन चारों को नगर निगम बिलासपुर द्वारा कॉलोनाइज़र लाइसेंस क्रमांक 142 दिनांक 25 जुलाई 2025 (रजिस्ट्रेशन क्र. 272) जारी किया गया था। मगर अब, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बिलासपुर के दिनांक 08 अक्टूबर 2025 के पत्र के आधार पर निगम ने उक्त लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया है।
नगर निगम ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम तथा नगर पालिका (कॉलोनाइज़र का रजिस्ट्रेशन, निर्बंधन तथा शर्तें) नियम 2013 की धारा 07 के अंतर्गत यह कार्रवाई की गई है। निगम ने डेवलपर्स को सात दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण या दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर भी प्रदान किया है।
निगम ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि —
“निलंबन अवधि प्रारंभ होने की तिथि से प्रकरण पर अंतिम निर्णय होने तक इस कॉलोनाइज़र लाइसेंस के तहत कोई भी विकास अनुज्ञा या कॉलोनी विकास की अनुमति हेतु आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।”
नगर निगम की यह कार्रवाई बिलासपुर के रियल एस्टेट सेक्टर में हलचल पैदा कर रही है। सूत्र बताते हैं कि निगम की इस सख्ती का मकसद शहर में चल रही कॉलोनाइज़ेशन प्रक्रिया को पारदर्शी और कानूनी दायरे में लाना है।
क्या है अगला कदम?
अब अमलजोत डेवलपर्स के पास सात दिनों का समय है, जिसमें वे निगम को अपना पक्ष या आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके बाद निगम द्वारा जांच रिपोर्ट और स्पष्टीकरण के आधार पर लाइसेंस रद्द या बहाल करने पर निर्णय लिया जाएगा।
संपर्क सूत्रों के अनुसार, नगर निगम के अधिकारी आगे अन्य डेवलपर्स के विरुद्ध भी ऐसी कार्रवाई की तैयारी में हैं, जिनके खिलाफ पुलिस जांच या उपभोक्ताओं की शिकायतें लंबित हैं।


