Wednesday, June 18, 2025
Homeबिलासपुरबिलासपुर: भूमि विवाद में धोखाधड़ी का खुलासा, गलत रिकॉर्डिंग के जरिए जमीन...

बिलासपुर: भूमि विवाद में धोखाधड़ी का खुलासा, गलत रिकॉर्डिंग के जरिए जमीन बेचने का आरोप, शिकायतकर्ता ने मांगी जांच और नामांतरण पर रोक…

बिलासपुर। जिले के ग्राम बिरकोना में ज़मीन के एक मामले ने गंभीर कानूनी और प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा किया है। यह विवाद खसरा नंबर 772, रकबा 0.90 एकड़ की ज़मीन से जुड़ा है, जिसे लेकर शिकायतकर्ता मुकेश कुमार साहू ने प्रशासनिक अधिकारियों—कलेक्टर, एसडीएम, और तहसीलदार—को आवेदन देकर धोखाधड़ी और फर्जी नामांतरण का आरोप लगाया है।

मुकेश कुमार साहू का दावा है कि यह ज़मीन उनकी दादी स्व. जोतकुंवर साहू के नाम पर थी, जिन्होंने 1967 में एक विक्रय पत्र के माध्यम से इसे श्यामलाल पिता बनवाली साहू ने बेचा था। हालांकि बाद में उन्होंने ही पुनः इस ज़मीन को अपने नाम पर नामांतरण करवाया और शिकायतकर्ता के दादी के नाम पर ऋण पुस्तिका भी जारी करवाई गई। भूमि रिकॉर्ड में खसरा नंबर 772 और उसका 0.90 एकड़ रकबा स्पष्ट रूप से दर्ज है, जिस पर जोतकुंवर का दावेदारी है।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि हाल के राजस्व रिकॉर्ड में उक्त ज़मीन पर ‘श्यामां’ नाम दर्ज किया गया है, जिसमें पिता या पति का नाम नहीं है। इसी अस्पष्टता का लाभ उठाकर श्यामा बाई खेवराम नाम की महिला—जो शिकायत के अनुसार जाति गोंड से हैं—ने ज़मीन को श्रीमती लोकेश्वरी सिंह के नाम पर बेच दिया। मुकेश साहू इसे पूरी तरह अवैध और भ्रामक बताते हुए धोखाधड़ी करार देते हैं।

मुकेश का कहना है कि उनके पिता गोरीशंकर साहू का निधन मार्च 2024 में और उनकी दादी जोतकुंवर का देहांत सितंबर 2013 में हुआ था। तब से वह स्वयं इस ज़मीन पर काबिज़ हैं और इसका उपयोग कर रहे हैं। अब जब इस ज़मीन की बिक्री की खबर सामने आई, तो उन्होंने तत्काल प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है।

शिकायत में स्पष्ट रूप से यह मांग की गई है कि:

  • भूमि के सभी नामांतरण और विक्रय प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए।
  • रिकॉर्ड में हुई गड़बड़ी की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
  • सही दस्तावेज़ों के आधार पर वैध उत्तराधिकारी का नाम दर्ज किया जाए।

यह मामला छत्तीसगढ़ में भूमि विवादों और राजस्व रिकॉर्ड की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है। अक्सर देखा गया है कि राजस्व दस्तावेजों में हल्की सी त्रुटि का लाभ उठाकर ज़मीन की अवैध खरीद-फरोख्त की जाती है, जिससे मूल अधिकारधारी को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ज़रूरत है कि प्रशासन इस विवाद की निष्पक्ष जांच करे और स्पष्टता लाए। अगर शिकायतकर्ता के दावे सत्य पाए जाते हैं, तो यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी का मामला बन सकता है, जिसमें फर्जीवाड़ा करके ज़मीन का हस्तांतरण किया गया है।

प्रशासनिक स्तर पर ऐसे मामलों को रोकने के लिए भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण के साथ-साथ पारदर्शिता और क्रॉस-वेरिफिकेशन की मजबूत व्यवस्था लागू होने के बाद भी फर्जी रजिस्ट्री होना चिंता का विषय है।

spot_img
RELATED ARTICLES

Recent posts

error: Content is protected !!
Latest