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देशस्वास्थ्य

जयपुर में एक ऐसा स्थान, जहां मिटटी, जल और वायु से होता है इलाज 

                                   

 एलोपैथिक दवाओं के दुष्प्रभावों के कारण आजकल बिमारियों के इलाज के लिए अल्टरनेटिव थेरेपी की तरफ लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है। ऐसे दौर में बिमारियों के इलाज के लिए प्राकृतिक चिकित्सा काफी सुलभ और फायदेमंद विकल्प हो सकता है।


प्राकृतिक चिकित्सा में रोगों का प्रकृति के पंच तत्वों जैसे मिटटी, जल, वायु ,अग्नि और आकाश से इलाज किया जाता है। जयपुर स्थित प्राकृतिक चिकित्सालय  में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. किरण गुप्ता कहती हैं ”यहां वैज्ञानिक पद्दति से रोगों का उपचार होता है और एलोपैथी से होने वाले दुष्प्रभावों को प्राकृतिक विधि से उपचार किये जाते हैं,क्योंकि शरीर के रोगों को प्राकृतिक रूप से इलाज किया जाता है तो इसके परिणाम बहुत जल्दी दिखने लगते हैं और शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता।अनेक रोगों के उपचार यहां उपलब्ध हैं जैसेअर्थिरिटिस,हृद्य रोग,चर्म रोग ,मधुमेह ,सोराइसिस,महिला रोग, मानसिक रोग, गठिया ,जोड़ों का दर्द, पेट के रोग,सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और  एलर्जी आदि। डॉ. किरण गुप्ता कहती हैं संक्रामक रोगों और जिन रोगों में सर्जरी की आवश्यकता है उनको छोड़ कर लगभग सभी रोगों के इलाज प्राकृतिक विधियों द्वारा होते हैं।प्राकृतिक विधियों में यहां योग, गर्म पट्टी सेक ,स्टीम बाथ, मड बाथ, एक्युपंक्चर ,जूस थेरेपी ,उदवर्तनम, धारा, इंफ़्रा रेड थेरेपी, स्पाइनल बाथ थेरेपी और वेट शीट जैसी कई पद्दतियों से इलाज किये जाते है।प्राकृतिक चिकित्सालय में महिलाओं का इलाज महिला चिकित्सक  द्वारा किया जाता है और पुरषों का इलाज पुरुष चिकित्सक करते हैं। रोगियों को आउटडोर में और भर्ती करके चिकित्सा करी जाती है और भर्ती पेशेंट्स के साथ अटेंडेंट की रुकने की भी व्यवस्था यहां उपलब्ध हैं। चिकित्सा के अलावा यहां योग और नेचुरोपैथी में डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी कराये जाते हैं जिनकी अवधि ३ वर्ष होती है।लता वृषों से आच्छादित 15000 वर्ग गज़ में फैला हुआ प्राकृतिक चिकित्सालय में सामग्री भण्डारण में शहद,एलो वैरा,आवला जैसे कई खाद्य सामग्रियों के साथ नेचुरोपैथी पर कई सारी पुस्तकें भी हैं । यहां जूस थेरेपी के अंतर्गत  फलों और सब्जियों का जूस ताज़ा निकाल कर दिया जाता है जो पेशेंट्स  और आम लोगों द्वारा पिया जाता जो काफी स्वास्थ्यवरदक होता है।

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