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राजनीति

सोनिया ग़ांधी के बचाव में उतरे G-23 के गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी, समर्थन में क्या बोले ? जानिए…

पिछले महीने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने कई दिनों तक अपने दफ्तर बुलाकर नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ की थी। लेकिन, तब कांग्रेस के असंतुष्ट ग्रुप के तौर पर चर्चित जी-23 के नेताओं ने संदेहास्पद रूप से उससे दूरी बनाए रखी। लेकिन,अब जब पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर ईडी का शिकंजा कस चुका है तो वे सारे पुराने कांग्रेसी भी मुखर हो गए हैं। दिल्ली में आज कांग्रेस की एक प्रेस कांफ्रेंस हुई, जिसमें गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने सोनिया के बचाव में तरह-तरह की दलीलें दीं और मनीष तिवारी ने तो प्रदर्शनकारियों के साथ हिरासत में लिए जाने का दावा किया।

सोनिया गांधी पर ईडी की कारर्वाई के विरोध में उतरे जी-23 के नेता

प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ शिकंजा कसा और उन्हें फिर से पूछताछ के लिए बुलाया तो जी-23 के जो मुखर कांग्रेसी नेता पिछले करीब दो साल से साइडलाइन थे, वे अचानक सक्रिय हो गए और अपनी नेता के बचाव में नए-नए तर्क देने लगे। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी भी शामिल हैं। इन नेताओं को पार्टी ने बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय से प्रेस कांफ्रेंस करने का भी मौका दिया है। बड़ी बात ये है कि ये सारे नेता उस समय प्रदर्शन से संदेहास्पद रूप से गायब थे, जब ईडी ने राहुल गांधी को भी पूछताछ के लिए बुलाया था।

बेटे से पूछ लिया तो सोनिया को क्यों बुलाया- गुलाम नबी आजाद

सोनिया के बचाव में गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि ‘जब आपने उनके बेटे से पांच दिनों तक कई घंटे पूछताछ कर ली है, तो उसी केस में सोनिया गांधी को बुलाने की क्या जरूरत थी? राहुल युवा हैं, लेकिन सोनिया जी पिछले कई महीनों से अस्वस्थ हैं। पिछले कुछ महीनों में उन्होंने कई दिन अस्पताल में भी गुजारे हैं। वह घर पर ही अस्वस्थ थीं।’ राज्यसभा के पूर्व नेता विपक्ष ने ये भी कहा है कि ‘जंग के भी नियम होते थे कि औरत और बीमार पर हाथ नहीं उठाना है। स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उन बेचारी को क्यों परेशान कर रहे हैं ? ये जरूरत से ज्यादा हो रहा है। सोनिया गांधी की सेहत के साथ खेलना अच्छा नहीं होगा।’

प्रतिष्ठा के मौलिक अधिकार का भी सम्मान जरूर- आनंद शर्मा

उधर आनंद शर्मा ने भी आजाद की बातों का समर्थन करते हुए सरकार से वैचारिक विरोधियों के साथ व्यक्तिगत नहीं होने का अनुरोध किया और कानूनों की कथित कठोर प्रकृति पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा, ‘किसी को समन देने या पूछताछ करने की बात नहीं है। सबके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारत एक संवैधानिक लोकतंत्र है, जिसमें कानून का सम्मान और उसे लागू करते हुए हमें न केवल न्याय, बल्कि प्रतिष्ठा के मौलिक अधिकार का भी सम्मान करना चाहिए।’

हमें हिरासत में ले लिया गया है-तिवारी

उधर मनीष तिवारी ने भी सोनिया से पूछताछ के विरोध में राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च किए जाने के दौरान विजय चौक से हिरासत में लिए जाने पर कहा है, ‘हम संसद में आम आदमी की आवाज उठाना चाहते हैं। हम राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन पुलिस ने रोक दिया। हमें हिरासत में ले लिया गया है।’ इससे पहले आजाद ने कहा कि, ‘दुर्भाग्य से मैं पिछले एक-दो महीने से बीमार था। इसके चलते मैं धरना में शामिल नहीं हो सका। अस्पताल में होने की वजह से मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी। नेशनल हेराल्ड मामले से संबंधित सभी कागजात एजेंसियों के पास हैं, जो कि कई साल से जांच कर रही हैं। एक समय तो हमें पता चला था कि उन्हें कुछ नहीं मिला है और वे केस बंद करने जा रहे हैं।’

कांग्रेस कर रही है सोनिया से पूछताछ का विरोध

2013 में बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी समेत बाकी लोगों पर धोखाधड़ी और फंड के हेरफेर के आरोप लगाए गए थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने सिर्फ 50 लाख रुपये देकर एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड से 90.25 करोड़ रुपये रिकवर करने का हक पा लिया, जो उसपर कांग्रेस का बकाया था। इस मामले में 19 दिसंबर, 2015 को सोनिया और राहुल दोनों मां-बेटे ने 50,000 रुपये के निजी मुचलकों पर जमानत हासिल कर लिया था। प्रवर्तन निदेशालय इसी मामले में उनसे पूछताछ कर रहा है, जिसका कांग्रेस संसद से सड़क तक विरोध कर रही है।

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