बिलासपुर: चेट्री-चंद्र पर्व की भव्य शरुवात, भारतीय सिन्धु सभा के द्वारा, सिन्धु घाटी की सभ्यता, खान-पान, रहन-सहन, भाषा, संस्कृति के बारे में बताया…
बिलासपुर। चेट्री चंद्र के उपलक्ष्य में” भारतीय सिन्धु सभा” द्वारा बिलासपुर सिंधी समाज के साथ मिलकर श्रीकांत वर्मा मार्ग सिथत कुंदन पैलेस में एक मेगा इवेंट “सिंध- जो – मेलो” किया गया।
मेले के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए भारतीय सिन्धु सभा के महामंत्री राम सुखीजा ने बताया कि बिलासपुर में इस बार सिंधी समाज ने अपना सबसे बड़ा उत्सव एक नए रूप में मनाया है, जिसमे अपनी प्राचीन सिन्धु घाटी की सभ्यता, खान-पान, रहन-सहन,भाषा, संस्कृति के बारे में मेले में उपस्थित समाज के जनसमूह को बताया गया साथ ही भारत सरकार से सिंधी भाषा, संस्कृति के संरक्षण हेतु 24×7 डीडी सिंधी चैनल की मांग के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।
मेले में मुख्य अतिथि के तौर पर बिलासपुर नगर विधायक अमर अग्रवाल, अतिथि बेलतरा क्षेत्र के विधायक सुशांत शुक्ला भी मेले में उपस्थित रहकर पूरे सिंधी समाज को चेट्री चंद्र की शुभकामनाएं व बधाई दी अमर अग्रवाल ने आयोलाल झूलेलाल के जयघोष के साथ अपने उदबोधन में कहा कि बिलासपुर सिंधी समाज पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत व भारतीय सिन्धु सभा के नेतृत्व में चेट्री चंद्र पर पहली बार इस तरह का भव्य आयोजन कर रहा है और इस आयोजन को अपना आशीर्वाद देने के लिए स्वयं झूलेलाल साईं जी, जो कि जल के देवता वरुण देव भी है, ने अपनी कृपा से बारिश के रूप हम सभी को आशीर्वाद दिया है।
विधायक सुशांत शुक्ला ने भगवान झूलेलाल का जयघोष करके सबको शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस तरह का आयोजन वह देखकर अभिभूत है और अगले वर्ष से यह आयोजन 2 दिन करने की भारतीय सिन्धु सभा को अपील की जिसे संस्था के अध्यक्ष शंकर मनचन्दा ने मान लिया मेले में आये हुए सिंधी समाज के सभी आयु वर्ग के लोगो ने आपस मे मिलकर एक दूसरे को शुभकामनाएं व बधाईया दी, और मेले में खूब मज़ा लिया।
मेले सभी वरिष्ठजनों के बीच लक्की कूपन का ड्रा भी निकाला गया जिसमें प्रथम, द्वितीय, तृतीय लक्की कूपन विजेता को पुरुस्कार दिया गया मेले को सफल बनाने में पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत, भारतीय सिन्धु सभा, सिंधी सेंट्रल पंचायत युवा विंग, व महिला विंग, भारतीय सिन्धु सभा महिला विंग, एवं संस्था के वरिष्ठ सदस्य अर्जुन तीर्थानि, धनराज आहूजा, हरीश भागवानी, मनोहर पमनानी, श्रीचंद दयालानी, किशोर गेमनानी, नानक खटूजा, नारायण उभरानी, शंकर मनचन्दा, राम सुखीजा, अमर चावला, अमर पमनानी, दयानन्द तीर्थनी, कैलाश आयलानी, दिलीप घनशानी, अभिषेक विधानी, मनोहर थौरानी, नरेंद्र हरियानी, जगदीश जज्ञासी, दिलीप मनवानी, हरीश कोडवानी, राम चावला, नंदू लाहोरानी, सुरेश जीवनानी, मोहन जैसवानी, शंकर नागदेव, नवीन जादवानी, डॉ सतीश छुगानी, महेश पमनानी, हरीश थावरानी, मोहन मोटवानी, विनोद राइकेश, भरत आडवानी, गुरबख्श जैसवानी, नंदलाल पोपटानी, लाला चावला, दिनेश नागदेव, इत्यादि का सक्रिय योगदान रहा।