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नौकरी पर नहीं लौटे पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा, विभागीय कार्रवाई का करना पड़ सकता है सामना…

सीबीआई निदेशक के पद से हटाए गए अलोक वर्मा की मुश्किलें कम होती नज़र नहीं आ रही हैं. नौकरी पर नहीं लौटने के लिए गृह मंत्रालय ने उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है. गृह मंत्रालय सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी. सीबीआई पद से हटाए जाने के बाद अलोक वर्मा ने इस्तीफ़ा दे दिया था. वर्मा को अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड्स के महानिदेशक के पद पर तबादला किया गया था, जिसे उन्होंने लेने से मना कर दिया था.

गृह मंत्रालय ने वर्मा को अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड्स के महानिदेशक का पद संभालने की जिम्मेदारी दी थी. गृह मंत्रालय ने वर्मा को कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले खत भेजा. खत में कहा गया कि आप डीजी, फायर सर्विसेस, सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड्स का पदभार तत्काल प्रभाव से संभाल लें. इसके साथ ही गुरूवार को ऑफिस आने का आदेश दिया. अधिकारियों ने बताया कि निर्देश का पालन न करना अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए सर्विस नियमों का उल्लंघन माना जाता है.

निर्देश के अनुसार नया कार्यभार नहीं संभालने पर अलोक वर्मा को विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें पेंशन के लाभ से निलंबन भी शामिल है. कुछ हफ्तों पहले वर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति द्वारा गुरुवार को पद से हटा दिया गया था. वर्मा ने सरकार को लिखे एक पत्र में कहा कि वह अब सीबीआई निदेशक नहीं है. वह अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड की सेवानिवृत्त उम्र पहले ही पार कर चुके हैं. इसके अनुसार, अधोहस्ताक्षरी को आज से सेवानिवृत्त समझा जाए.

31 जनवरी को अलोक वर्मा का कार्यकाल समाप्त होना था. 55 सालों में पहली बार सीबीआई के इतिहास में अलोक वर्मा प्रमुख है जिन्होंने ऐसे कार्रवाई का सामना किया है. अलोक वर्मा को फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड का डायरेक्टर जनरल का पदभार लेने से इंकार कर दिया और अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया.

वर्मा को विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ उनके झगड़े के मद्देनजर 23 अक्टूबर 2018 की देर रात विवादास्पद सरकारी आदेश के जरिये छुट्टी पर भेज दिया गया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के आदेश को चुनौती दी थी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी आदेश को निरस्त कर दिया था, लेकिन उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीवीसी जांच पूरी होने तक उनके कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला करने पर रोक लगा दी थी.

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