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बिलासपुर: फाइलेरिया और कृमि की दवा खाकर 40 बच्चे हुए बीमार…सिम्स में भर्ती एक कि हालत गंभीर…मुख्यमंत्री तक पहुंची खबर

बिलासपुर/ कृमि मुक्ति और फाइलेरिया की दवा खाने के बाद तखतपुर व सीपत क्षेत्र के 40 से ज्यादा स्कूली बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। इसमें से तीन को सिम्स में भर्ती कराया गया। इनमें से एक बच्ची की हातल गंभीर है। आधी रात को यह खबर फैलने से हड़कंप मच गया। मामला सीएम हाउस तक पहुंच गया। इसके बाद आनन-फानन में एसडीएम बच्चों को देखने सिम्स पहुंचे।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति व फाइलेरिया उन्मूलन के तहत जिले में एलबेंडाजोल और डीईसी की दवा का सेवन कराया जा रहा है। अभियान के तहत शुक्रवार को तखतपुर क्षेत्र के स्कूली बच्चों को दवा खिलाई गई। इसके बाद बच्चे घर भी पहुंच गए। शाम होने तक दवा खाने वाले कुछ बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। तखतपुर के ग्राम पुरैना की खुशबू बंजारे के बीमार होने की जानकारी सबसे पहले मिली। उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद करणकांपा से दो, भथरी से एक बच्चे व सकरी, गनियारी के चार बच्चों के बीमार होने की जानकारी मिली। इस बीच खुशबू बंजारे की हालत में सुधार नहीं होने पर उसे शनिवार को सिम्स रिफर कर दिया गया। उसके अलावा पुरैना में फिर दो और बढ़राई से 15 बच्चे बीमार पड़ गए। इसी तहत सीपत क्षेत्र के गांवों से भी बच्चों के बीमार पड़ने की खबर आने लगी। खैरा निवासी बच्ची आकांक्षा को सिम्स में भर्ती किया। देर रात तक 40 से ज्यादा बच्चों की बीमार होने की खबर से प्रशासन में हड़कंप मच गया। इसकी सूचना सीएम हाउस तक पहुंच गई। वहां से निर्देश मिलने पर कलेक्टर संजय अलंग ने एसडीएम देवेंद्र पटेल को रात साढ़े 12 बजे स्थिति का जायजा लेने के लिए सिम्स भेजा। इस घटना से प्रशासन सकते में आ गया है। सभी ब्लॉक से बीमार पड़े बच्चों की जानकारी मंगाई जा रही है।

छह मौत होने की उड़ी अफवाह

बच्चों के बीमार होने की खबर के बीच किसी ने तखतपुर के पुरैना व आसपास के छह बच्चों की मौत होने की अफवाह फैला दी। ये सुनकर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में अधिकारी मामले की तस्दीक करने में जुट गए। इसमें पता चला कि कहीं भी दवा खाने वाले बच्चे की मौत नहीं हुई है।

दवा की गुणवत्ता पर उठे सवाल

हर साल कृमि मुक्ति व फाइलेरिया उन्मूलन के नाम पर दवा का सेवन कराया जाता है। इसके बाद तबीयत बिगड़नेके मामले सामने आते हैं। इस बार भी दवा के सेवन से बड़ी संख्या में बच्चों के बीमार होने से दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं।

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