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बिलासपुर लोकसभा: ग्रामीणों क्षेत्रों में कर्जमाफी और समर्थन मूल्य 25 सौ की धूम…वोटर भी रंग चुके हैं चुनावी रंग में…इशारों में ही बना रहे हैं सांसद…पढ़िए अखलाख खान की रिपोर्ट और जानिए वोटरों को कैसा सांसद चाहिए…

अखलाख खान (9826978603)

बिलासपुर। बिलासपुर लोकसभा का सांसद चुनने के लिए 23 अप्रैल को मतदान होना है। यानी कि अब से महज 36 घंटे बाद। राजनीतिक दल के नेता से लेकर कार्यकर्ता तो बहुत पहले से चुनावी रंग में रंग गए हैं और अब वोटर भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। 70 से अधिक फीसदी वोटर मन बना चुके हैं कि वो किस पार्टी को वोट करेंगे। हालांकि वे खुलकर किसी पार्टी का नाम तो नहीं ले रहे हैं, लेकिन इशारों ही इशारों में वो सब कुछ साफ कर दे रहे हैं।

ताजाखबर36गढ़.कॉम की टीम ने बिलासपुर लोकसभा के मस्तूरी, बिल्हा, बेलतरा, तखतपुर, लोरमी, मुंगेली और कोटा विधानसभा के गांवों का दौरा किया। इस दौरान वोटरों से यह जानने की कोशिश की गई कि वे किसके सिर ताज पहनाएंगे। पूर्व की राज्य सरकार, वर्तमान केंद्र सरकार और राज्य की तीन माह के कांग्रेस सरकार के कामकाज को जब सामने रखा गया तो ग्रामीणों के मन में कर्जमाफी और धान के 25 सौ रुपए समर्थन मूल्य का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। लोकसभा चुनाव के लिए जारी दोनों ही पार्टियों का घोषणा पत्र का भी असर कम नहीं है।

सर्वे के दौरान ताजाखबर36गढ़.कॉम की टीम ने हर विधानसभा क्षेत्र के 100 महिलाओं और इतने ही पुरुषों से बातचीत की। लगभग सभी की राय एक जैसी थी। उनका कहना था कि पिछले साल खेती के समय उन्होंने ग्रामीण बैंक से कर्जा लिया था। विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस के घोषणा पत्र से प्रभावित होकर उन्होंने वोट किया। राज्य में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस ने उनका कर्ज माफ किया। साथ ही धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपए भी किया गया। टीवी, अखबारों और सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला है कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस हर गरीब को 72 हजार रुपए देगी, जबकि बीजेपी हर किसान को 6 हजार रुपए सालाना और पेंशन। उनका कहना था कि पूर्व में भी सत्ता पाने के लिए राजनीतिक दलों ने कई वायदे किए थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद भूल गए। वो तो उन्हें ही वोट करेंगे, जो सत्ता पाने के तुरंत बाद अपने वायदे पर अमल करें।

ऐसा सांसद चाहिए

सर्वे के दौरान जितने वोटरों से बातचीत की गई, उनमें से 85 फीसदी लोग सांसद लखनलाल साहू को नहीं जानते। पीएम और सीएम और पूर्व सीएम का नाम उन्हें मुंहजबानी याद है। उनका कहना है कि कोई जब अच्छा काम करता है, तभी उसका नाम याद रहता है। सांसद ने अपने कार्यकाल में कुछ भी ऐसा नहीं किया, जिससे उन्हें याद रखा जाए। कैसा सांसद चाहिए… सवाल के जवाब में उनका कहना था कि उनके क्षेत्र से अच्छी तरह से वाकिफ हों, ताकि किसी समस्या को लेकर जब वे जाएं तो सांसद को पता चल जाए कि वे कहां से आएं। यह न पूछे कि यह गांव कहां पर है। सरकार में भागीदारी हो तो तत्काल समस्या का निराकरण कराएं और यदि सरकार में भागीदारी न हो तो सरकारी मिशनरी पर समस्या का हल कराने के लिए दबाव बनाएं। पांच साल बहुत होता है। कम से कम अपने कार्यकाल में एक बार उनके गांव भी पहुंचे और जानें कि उन्हें किस चीज की जरूरत है।

एक शिकायत ये भी

कर्जमाफी और समर्थन मूल्य का जादू तो सर चढ़कर बोल रहा है, लेकिन एक शिकायत ग्रामीणों को यह भी है कि कांग्रेस पार्टी ने राज्य में सरकार बनने पर पूरा कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में बैठने के बाद सिर्फ ग्रामीण बैंक का कर्ज माफ किया गया, अन्य बैंक का नहीं। हालांकि ग्रामीण यह भी कहते हैं कि अभी सरकार में बैठे जुम्मा-जुम्मा तीन माह हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार अपना वायदा निभाएगी।

महिलाओं ने कहा- शराबबंदी जरूरी

महिला वोटरों ने प्रदेश में पूरी तरह से शराबबंदी की वकालत की। उनका कहना था कि सरकार में बैठने से पहले कांग्रेस ने प्रदेश में शराबबंदी को लेकर आंदोलन किया था। चुनाव के दौरान वायदा भी किया था, लेकिन सत्ता पाने के बाद कांग्रेस भी बीजेपी की चाल चल रही है। कई माध्यमों में उन्हें पता चला है कि शराबबंदी के लिए कमेटी बनाई गई है, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट कब आएगी, यह तो पता नहीं। शराब के कारण अधिकांश घरों में कलह जरूर जारी है।

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