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बिलासपुरवन विभाग

बिलासपुर: फदहाखार फेंसिंग घोटाला, जिला पंचायत के सामान्य सभा में जांच कमेटी गठित करने का प्रस्ताव पास…

बिलासपुर। फदहा खार में हुए फेंसिंग घोटाले की जांच के लिए जिला पंचायत कमेटी गठित करेगी। आज इस मामले को लेकर जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र पांडेय ने जोरशोर से उठाया। तब जिला पंचायत के CEO ने जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिए। अब जांच कमेटी भौतिक सत्यापन करके रिपोर्ट सौंपेगी, उसके बाद घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

जिला पंचायत के सभा कक्ष में शुक्रवार को सामान्य सभा की बैठक आयोजित की गई। बैठक में सभी विभाग के कामकाज की जिला पंचायत सदस्यों ने समीक्षा की गई। समीक्षा के दौरान वन विभाग के अधिकारी फदहा में हुए फेंसिंग घोटाले को लेकर घिर गई। जिला पंचायत सदस्य और कांग्रेस नेता जितेंद्र पांडेय ने फेंसिंग घोटाले को जोर शोर से उठाया और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए। मामला गरमाता इसके पहले ही जिला पंचायत के CEO अजय अग्रवाल ने जांच कमेटी गठित करने का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। अब जांच कमेटी गठित होने के बाद मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन किया जाएगा और जांच रिपोर्ट अगले सामान्य सभा की बैठक में रखी जाएगी। इसके बाद फेंसिंग घोटाले में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कारवाई करने का प्रस्ताव पास किया जाएगा।

आपको बता दे वन विभाग के अधिकारियों ने फदहा खार के जंगल को बेजा कब्जा से बचाने के लिए फेंसिंग कराने का निर्णय लिया और आधा काम करने के बाद भुगतान पूरा 52 लाख रुपए का कर दिया। इस पूरे मामले में फदहा खार के रेंजर की भूमिका संदिग्ध है। क्योंकि पूरा काम रेंजर की देखरेख में ही हुआ है और पूर्णता प्रमाण पत्र भी उन्ही के द्वारा जारी किया गया है। जबकि मौके पर 50 प्रतिशत हिस्से में काम ही नहीं हुआ है। जिस पचास प्रतिशत में काम हुआ है उसमें भारी घालमेल है। बिना लोहे का पोल लगाए फेंसिंग कर दिया गया है। बेस लाइन की गुणवत्ता भी दोयम दर्जे की है। गिट्टी और रेत के मिक्सचर में सीमेंट नाममात्र का डाला गया है। रेंजर और वन विभाग के अधिकारियों ने इस पूरे खेल में लाखों रुपए का भ्रष्टचार किया है। हालांकि अब जांच कमेटी से इसका खुलासा हो जाएगा।

गौरतलब है कि रेलवे क्षेत्र से लगे फदहाखार में बिलासपुर वन मंडल की सैकड़ों एकड़ जमीन है। इस जमीन के कुछ हिस्से पर एक बस्ती भी बस गई है और लगातार जमीन पर कब्जा हो रहा था। इसे गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन डीएफओ कुमार निशांत ने खाली पड़ी जमीन को जाली तार से घेरने की योजना बनाई। डीएफओ DFO के निर्देश पर प्रभारी रेंजर नायक ने इस्टीमेट पेश किया, जिसमें बताया गया कि पूरी जमीन को घेरने में करीब 7600 मीटर जाली तार बिछाना पड़ेगा। हरेक डेढ़ मीटर में लोहे का एक पोल लगाना होगा। यानी कि करीब 5000 पोल लगाए जाएंगे। मजदूरों का खर्च अलग आएगा। पूरे काम में करीब 52 लाख रुपए खर्च आएंगे। तत्कालीन डीएफओ ने जाली तार फेंसिंग के लिए 52 लाख रुपए की स्वीकृति दे दी। प्रभारी रेंजर नायक की देखरेख में 7600 मीटर में जाली तार का घेरा लगा दिया गया और ठेकेदार को गुपचुप तरीके से भुगतान भी हो गया।

वन विभाग के इस्टीमेट के अनुसार 7600 मीटर की फेंसिंग में 5000 लोहे के एंगल लगाए गए हैं। यानी कि हर डेढ़ मीटर में एक पोल लगाया जाना बताया गया है। 7600 मीटर फेंसिंग तार को लगाने में आई लागत 52 लाख रुपए का हिसाब करें तो हर डेढ़ मीटर का खर्च 1040 रुपए आ रहा है। इसमें जाली तार, पोल और मजदूरी खर्च शामिल हैं। 7600 मीटर फेंसिंग की अधिकतम लागत 27 लाख 50 हजार रुपए हो रही है, जबकि वन विभाग अधिकारियों ने ठेकेदार को 52 लाख रुपए का भुगतान किया है। जबकि मौके पर 50 प्रतिशत काम ही नहीं हुआ है। वन विभाग के अधिकारियों ने इस घोटाले को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया है। घोटाले से अपने को बचाने के लिए थाने पोल चोरी होने का रिपोर्ट भी लिखा दिया है ताकि भविष्य में कोई मामला उठे तो इस चोरी की रिपोर्ट को दिखाकर अपना बचाव कर सके। वन रक्षक ने 28 जनवरी 2022 को सिरगिट्‌टी थाने में रिपोर्ट लिखाई है। उसने बताया है कि रात में मौके से एंगल चोरी हो गए, जिसकी कीमत 4000 रुपए है।

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