बिलासपुर(ताज़ाख़बर36गढ़) जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे से बिलासपुर विधानसभा प्रत्याशी बृजेश साहू का दावा है कि मंत्री अमर अग्रवाल जाति समीकरण में कहीं फिट नहीं बैठते। छत्तीसगढ़ में अग्रवाल बंधुओं की जनसंख्या किसी से छिपी नहीं है। 15 साल तक मंत्री रहते हुए भी अमर अग्रवाल ने बिलासपुर शहर के विकास के बारे में नहीं सोचा। यही वजह है कि आज बिलासपुर शहर के हर वार्ड में कई तरह की समस्याएं हैं। वार्डों में डायरिया फैल रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में थोड़ा भी विकास नहीं हुआ है। सिम्स और जिला अस्पताल में व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। सीवरेज सिस्टम अच्छी योजना है, लेकिन अनुभवहीन हाथों में इसका काम सौंपकर एक दर्जन से अधिक लोगों की जान ले ली गई।
बृजेश साहू की ताज़ाख़बर36गढ़ से खास बातचीत… पेश हैं मुख्य अंश
सवाल:- भाजपा व कांग्रेस से जुड़े हुए थे। ऐसी क्या संभावनाएं दिखीं कि आप जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे में शामिल हो गए?
जवाब:- मैं भाजपा से जुड़ा हुआ था। 8 साल रहा। समाजसेवा की। राजनीतिक के क्षेत्र में काम किया। इस दौरान विधानसभा, लोकसभा और स्थानीय चुनाव में हमारी सक्रिय भागीदारी रही। एक अच्छा रिजल्ट दिया था। मैं अपनी बात करूंगा और अपने समाज के लोगों का। भाजपा में हमारे लिए कोई स्थान नहीं है। हमारे क्षेत्र से कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने 2013 में मुझसे कहा कि इस बार आपको विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए। तखतपुर विधानसभा मेरा गृहक्षेत्र है। इसलिए मैंने वहां से तैयारी की। टिकट के लिए मैंने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष, यहां तक कि मुख्यमंत्री से बात की। कई बार बैठकें हुईं। बार-बार आश्वासन मिला, लेकिन अंतत: राजू सिंह क्षत्रिय को टिकट दे दिया गया। इसका एक ही कारण था। वे मुख्यमंत्री के रिश्तेदार हैं। न उनके पास जनाधार है। न ही उनके पास सामाजिक वोट, जिसका राजनीति में जरूरत पड़ती है। और भी कई मौके आए, जिसमें पिछड़े वर्ग की उपेक्षा की गई। यह मुझे अच्छा नहीं लगा। भाजपा की रीति-नीति पिछड़ा वर्ग के लिए अच्छी नहीं है। इसलिए मैंने भाजपा छोड़ी। बड़े भाई एसआर साहू पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी से जुड़े हुए हैं। बड़े भाई ने जोगी से बात की और मुझे लगा कि जोगी की क्षेत्रीय पार्टी पिछड़ा वर्ग के बारे में सोचेगी। इसलिए मैंने दो साल पहले जकांछ में प्रवेश किया। उन्होंने मुझे पिछड़ा वर्ग विभाग का प्रदेशाध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी।
सवाल: बिलासपुर विधानसभा हाईप्रोफाइल सीट है। यहां भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर रहती है। ऐसे में आप किस तरह से दोनों पार्टियों से लड़ेंगे?
जवाब: आपका कहना बिलकुल सही है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे दूसरा बड़ा शहर है। यहां न्यायधानी है। संभागीय मुख्यालय भी है। हम बिलासपुर का इतिहास देखें… विधानसभा सीट के गठन को देखें तो बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्तियों के हाथ में यहां का प्रतिनिधित्व रहा। यहां से चार बार से अमर अग्रवाल विधायक हैं और तीन बार से प्रदेश के कद्दावर मंत्री हैं। उनके बारे में यही कहूंगा कि उनका जो व्यक्तित्व है और उनका जो समाज है। यह बात बोलने में मुझे कोई दिक्कत नहीं है कि आज के समय में जो राजनीति का काम होता है। राजनैतिक चुनाव है। हमको चुनाव में सबको साथ लेकर चलना है। सबके सहयोग से चुनाव जीता जाता है। लेकिन कहीं-कहीं पर सामाजिक समीकरण की बात की जाती है निश्चित रूप से सही बात है। मेरा उदाहरण लेंगे। मैं साहू समाज का सदस्य हूं। पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखता हूं। एसटीएससी और ओबीसी महासभा बनाई गई है, निश्चित रूप से मुझे उसका लाभ मिलेगा। जिस तरह से सामाजिक समीकरण की बात सामने आ रही है, उसमें अमर अग्रवाल फिट नहीं बैठते। यहां छत्तीसगढ़ में अग्रवाल बंधुओं की कितनी जनसंख्या है और सामाजिक सरोकार में उनका कितना योगदान रहा है, यह सब कोई जानते हैं। समाज से बिल्कुल वो कटे हुए हैं। अमर अग्रवाल को उनके पिता लखीराम अग्रवाल के राजनीति ओहदे का लाभ मिला। कांग्रेस की मतभिन्नता के कारण उन्हें लाभ मिला। यही कारण है कि वो चार बार से विधायक बने हैं। इस बार के आम चुनाव में छत्तीसगढ़ में राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है। अजीत जोगी हर परिस्थिति और हर क्षेत्र के जानकार हैं। उन्हें जननेता कहा जाता है। जकांछ का जनाधार बढ़ते जा रहा है। जितने भी हमारे राजनीतिक कार्यक्रम हुए हैं, उसमें जुटी भीड़ इस बात की गवाह है।
सवाल: आप बिलासपुर विधानसभा में रहते हैं। यहां की समस्याओं के बारे में जानते हैं, उसका हल निकालने के लिए आपके पास क्या फार्मूला है?
जवाब: जब रायपुर को अरबों-खरबों रुपए खर्च कर एक सुंदर शहर बनाया जा सकता है, तो बिलासपुर को क्यों नहीं, लेकिन बिलासपुर की हमेशा से उपेक्षा हो रही है। अमर अग्रवाल बिलासपुर शहर में रहते हैं। यहां से विधायक हैं और नगरीय प्रशासन मंत्री भी। इसी विभाग के माध्यम से शहरों का विकास होता है, लेकिन अमर अग्रवाल को अपने शहर की तनिक भी चिंता नहीं है। इन 15 सालों में जिस तरह से बिलासपुर का विकास होना था, उसका एक प्रतिशत भी विकास नहीं हुआ है। यदि उनके मन में ऐसा रहता तो हमारे बिलासपुर में भी रायपुर के समकक्ष विकास दिखता। नाली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास दिखता। सिम्स और जिला अस्पताल की अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। सीवरेज सिस्टम ने बिलासपुर शहर को बर्बाद कर दिया है। सीवरेज सिस्टम योजना अच्छी है, लेकिन इनका काम देखने वालों में अनुभव में कमी है। 200 करोड़ रुपए की लागत वाली योजना का बजट 500 करोड़ से ज्यादा हो गया है और अभी सीवरेज का काम चल रहा है। जो 50 प्रतिशत ही हुआ है। अभी भी दो साल का समय लगेगा। जब से यहां सीवरेज का काम हो रहा है, उसके गड्ढे में गिरकर एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। गर्मी के समय सभी मोहल्लों धूल पंचमीं जैसा माहौल रहता है। बरसात में कीचड़ से लोग परेशान हैं। इच्छाशक्ति से सब काम हो सकता है। शहर में पानी की समस्या है। शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है। निजी शिक्षण संस्थान में बच्चे पढ़ रहे हैं। इन अव्यवस्थाओं को सुधारना होगा। हम ऐसी व्यवस्था करेंगे, जिससे सारी समस्याओं का समाधान होगा। हमारी सरकार बनेगी तो सभी समस्याओं को प्राथमिकता के साथ निराकरण किया जाएगा।
सवाल: जकांछ ने सबसे पहले टिकट वितरण किया। बेलतरा, लोरमी के प्रत्याशी जितने सक्रिय हैं, उतने सक्रिय आप क्यों नहीं हैं?
जवाब: देखिए… मेरी सक्रियता… मेरी गतिविधि है… दैनिक। या जो मेरा कार्यक्रम है, उससे आमलोग अवगत नहीं हो पाते हों। जनवरी 2018 से मेरा नाम बिलासपुर से घोषित हो चुका है। मैं सुबह 10-12 बजे तक पार्टी कार्यालय में पदाधिकारियों से चर्चा करते हैं। इसके बाद नगर भ्रमण करता हूं। 12 से रात 10 बजे वार्डों में जाता हूं। घर-घर जाकर संपर्क करता हूं। समाज के लोगों से मिलता हूं।
ये है राजनीति पृष्ठभूमि
बिलासपुर विधानसभा से जकांछ प्रत्याशी बृजेश साहू के बड़े भाई एसआर साहू जब प्रदेश में अजीत जोगी सीएम थे, तब वे जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री थे और सक्रिय रूप से पिछड़ा वर्ग विभाग में उन्होंने काम किया। लगभग 15 साल राजनीति में रहे। पढ़ाई पूरी करने के बाद बृजेश ने 1985 से समाजसेवा शुरू की। साहू समाज के विभिन्न पदों पर रहते हुए वर्तमान में जिला साहू समाज के अध्यक्ष हैं। पिछड़ा वर्ग विभाग में एससीएसटी महासभा सामाजिक एक संगठन है, जिससे वे जुड़े हुए हैं। 8 साल तक वे बीजेपी से जुड़े हुए थे। आजीवन सदस्य थे। दो साल पहले उन्होंने बड़े भाई की प्रेरणा से जकांछ में प्रवेश किया।