छत्तीसगढ़: कृषि बिल किसानों के साथ धोखा, काला बाजारी व जमाखोरी को बढ़ावा देने वाला कानून: मुख्यमंत्री भूपेश…
रायपुर। केंद्र सरकार के कृषि सुधार-श्रम कानून में परिवर्तन को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कृषि बिल किसानों के साथ धोखा है। इस बिल से काला बाजारी व जमाखोरी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित बिल अवैधानिक है, ट्रेड शब्द जोड़कर बिल लाया गया, जो संघीय ढांचा के विपरीत है। ऐसी स्थिति में भविष्य में केंद्र टैक्स भी लगा सकती है। श्रम कानून राज्यों के बिना विश्वास के लाया गया, शांता कमेटी की रिपोर्ट अनुसार यह कानून लागू किया गया।
मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा कि कांट्रैक्ट फॉर्मिंग में कई कानूनी दांव पेंच है, जिसमें अनपढ़ और कम पढ़े लिखे लोग फंस कर रह जाएंगे। व्यापारी अब सस्ते दाम पर अनाज खरीदकर मनमाने दाम पर बेंचेगे। भूपेश ने कहा कि यह पीडीएस सिस्टम को खत्म करने की साजिश है। किसानों को पहले भी अपनी उपज बेचने के लिए छूट थी। छत्तीसगढ़ में 90 प्रतिशत किसानों को एमएसपी के अलावा अतिरिक्त भी लाभ दिया गया है। कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में रविवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ मंत्री रविंद्र चौबे, मोहम्मद अकबर, शिव डहरिया भी मौजूद रहे।
कृषि सुधार कानून, श्रम कानून में परिवर्तन को लेकर भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। भूपेश ने कहा कि जो बिल लाए गए हम उसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को धोखा दे रही है। भूपेश ने संसद से पारित कृषि बिल का विरोध करते हुए कहा कि जिस तरह से फसल बीमा का फायदा किसानों से ज्यादा कंपनियों को हुआ, उसी तरह से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का हश्र होगा। शांता कुमार कमेटी के मुताबिक केवल 6 प्रतिशत किसान ही एमएसपी में बेच पाते हैं। इसमें ब्लैक मार्केटिंग की बात गलत है। अगर एफसीआई व्यवस्था असफल सिद्ध हुई है, तो इसका मतलब है एफसीआई को बंद करना चाहते हैं। निजी क्षेत्र की व्यवस्था बढ़ाई जानी चाहिए। वहीं एमएसपी बन्द हो सकता है।
भूपेश बघेल ने कहा कि हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन बेच दिया, अब निगाह किसानों की जमीन पर है। अगले विधानसभा में प्रस्ताव लाएंगे। जरूरत हुई तो कोर्ट में जाएंगे। कांट्रेक्ट फार्मिंग का अध्ययन किया जाना चाहिए। फल- सब्जियां फायदेमंद हो सकती है, लेकिन अनाज में नहीं। कृषि के बारे में तय करने अधिकार विधानसभा को है, लोकसभा को नहीं। यह अधिकारों का उल्लंघन है। भविष्य में कृषि पर टैक्स भी लगा सकते हैं।