Advertisement
बिलासपुरस्वास्थ्य

ज्वाइंट रिप्लेसमेंट प्रत्यारोपण के लिये सही डाॅक्टर का चुनाव है जरूरी…..डाॅ. विक्रम

बिलासपुर (ताज़ाख़बर36गढ़) स्थित अपोलो हाॅस्पिटल मे शनिवार को प्रेस वार्ता आयोजित की गई। जिसमें ज्वाईट रिप्लेसमेंट के बारे में चर्चा की गई अाखिर ज्वाईट रिप्लेसमेंट क्या है …जब शरीर के अंगो के जोड़ बढ़ती उम्र के साथ-साथ पुराने पड़ने के साथ घिसने लगते है या कर्टिलेज यानी हड्डियों के सिरों को ढकने वाले सुरक्षा उत्तकों में विकार आ जाता है जिससे इनमें सूजन आ जाती है और हड्डियों के जोड़ परस्पर रगड़ खाने लगते है तो इस अवस्था को अर्थराइटिस कहते है।

आमतौर पर ऐसा घुटनों नितंबो, उंगलियों तथा कमर की हड्डियों मे होता है। हालांकि कलाइयों, कोहनियों कंधों तथा टखनों के जोड़ भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। डाॅ. असाटी ने बताया कि इन जोड़ों के बदलने की प्रकिया को ही ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में बेकार हुये जोड़ो को बदला जाता है। इन जोड़ों में सूजन, दर्द, फूलन और जकड़न होने लगती है। बिमारी बढ़ने के साथ ही चलना फिरना तक मुहाल हो जाता है।

अपोलो हाॅस्पिटल बिलासपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डाॅ. सजल सेन ने बताया कि 22 लोग आर्थराईटिस की प्राॅब्लम से ग्रसित है। जिनमें 60 वर्ष एवं उससे अधिक वाले ज्यादा है। मुख्य कारण जीवन शैली एसी में रहना, वजन का बढ़ना एवं धूप में ना जाना है। टोटल ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जनी के बाद इन सब तकलीफों से निजात मिल जाती है। इसके बाद मरीज पहले की स्थिति में पहुंच जाता है और जोड़ो की विकृतियां भी ठीक हो जाती है।श् अपोलो हाॅस्पिटल बिलासपुर में इस सर्जरी में 95 प्रतिशत से अधिक सफलता का आॅकडा रहा है।
मरीज राजाराम, 84 वर्ष के है इनके दोनों घुटने एवं बायें तरफ के कुल्हे का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किये लगभग 3 वर्ष हो गये है अब राजाराम जी अपनी दीनचर्या अच्छे से कर पा रहे है और उन्हें दर्द से पूर्णतः निजात मिल चुकी है। दुर्गावती 58 वर्ष कवर्धा से है इनका घुटना प्रत्यारोपण लगभग 2 महीने पहले हुआ और इन्होने बताया कि उन्हें घुटने में कोई दर्द नहीं है और अब वो सामान्य रूप से चल पाती है, सर्जरी के बाद उनका दैनिक जीवन पुर्व जैसा हो गया है।

गीता साहु 29 वर्ष जांजगीर जिला से है उनके कुल्हे का प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया गया है इन्हे दाहिने कुल्हे का जोड़ खराब हो गया था। असहनीय दर्द के कारण चलने फिरने में तकलीफ होती थी। किन्तु सर्जरी के उपरांत अब वो पूर्णतः स्वास्थ्य हो कर दर्दरहित सामान्य जीवन व्यतीत कर रही है। ज्वाइंट सर्जन डाॅ. असाटी ने बताया उपर्युक्त सभी मरीज अत्यधिक कष्टदायक स्थिति में थे सर्जरी के उपरांत चेहरे की हंसी देखकर अच्छा लगता है। प्रारंभ में घुटने एवं कुल्हें के अर्थराइटिस का ईलाज दवा, फिजियाथेरेपी, सावधानियां एवं लाइफ स्टाईल मोडिफिकेशन से किया जाता है। इस बिमारी के अत्यधिक बढ़ जाने पर जोड़ प्रत्यारोपण से इस बिमारी से निजात पायी जा सकती है। घुटनों का प्रत्यारोपण एक सरल तरीका है। जिसमें घुटने के खराब कार्टिलेज को मेटल लेयर से बदल दिया जाता है। यह सर्जरी आमतौर अधिक उम्र के लोगों एवं सिकलसेल से पीड़ित जिनमें कुल्हें का जोड़ कम उम्र में खराब होने के कारण कुल्हें के जोड़ का प्रत्यारोपण किया जाता है। उन्होंने आगे बताया जोड़ों में होने वाले हर दर्द का ईलाज सर्जरी नहीं है। परन्तु घुटने एवं कुल्हें के जोड़ में होने वाले एडवांस अर्थराइटिस जोड़ों के टेढ़ापन का ईलाज बिना सर्जरी के संभव नहीं है।

फिजियोथेरेपी विभाग के प्रमुख डाॅ. विक्रम साहू ने प्रत्यारोपण के लिये सही डाॅक्टर का चुनाव को बहुत महत्वपूर्ण बताया। आॅपरेशन के बाद सम्पूर्ण देखभाल एवं समय समय पर जांच आवश्यक है। शरीर के वजन का नियंत्रण, प्रत्यारोपित जोड़ो को सही तरीके से काम में लाना एवं फिजियोथेरेपिस्ट के अंतगर्त उपचार एवं उनके द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। जोड़ों के प्रत्यारोपण के पहले एवं बाद में फिजियोथेरेपी विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है।

अंत में सीओओ डाॅ़ सजल सेन ने कहा कि डाॅक्टरों की ओर से घर पर देखभाल के जो निर्देश दिये जाते है इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करने एवं जब भी जरूरत महसूस हो तुरंत अपने डाॅक्टर से संपर्क करने की सलाह दी। उन्होंने अपने स्वास्थ्य टीम के प्रति आश्वस्त् किया।

error: Content is protected !!