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बिलासपुर

बेलतरा विधानसभा: रजनीश सिंह का पीछा नहीं छोड़ रही पंचायत चुनाव की हार… जनता कह रही- जिस परिवार को गांव ने नकारा… उन पर कैसे करेंगे भरोसा… शहरी क्षेत्र में हो रही है ये चर्चा…


बिलासपुर/ भाजपा ने बेलतरा विधानसभा सीट से जिलाध्यक्ष रजनीश सिंह को टिकट देकर बड़ा दांव लगाया है, पर उन्हें जानने वाले लोग कह रहे हैं कि जिनके परिवार को पंचायत चुनाव में गांव के आसपास की जनता ने नकार दिया, उन पर भाजपा का भरोसा करना आश्चर्यजनक है। अन्य राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों से वे प्रचार में काफी पीछे हैं और जनता के बीच पहचान का संकट, सो अलग। ये बात अलग है कि भाजपा से जुड़े राजनीतिज्ञ यह दावा करते नहीं थकते कि भाजपा का प्रत्याशी नहीं, बल्कि संगठन चुनाव लड़ता है।

बेलतरा विधायक बद्रीधर दीवान के राजनीति से संन्यास लेने के बाद भाजपा को बेलतरा विधानसभा में नए चेहरे की तलाश थी। इसके लिए भाजपा ने कई सर्वे कराए, जिसमें क्षेत्र के एक कद्दावर नेता और जनपद सदस्य का नाम सबसे ऊपर था। भाजपा की राजनीति से जुड़े सूत्रों पर भरोसा करें तो प्रदेश कार्यालय से केंद्रीय चुनाव समिति को टिकट के लिए इसी नेता का सिंगल नाम भेजा गया था। हालांकि राजनीतिक खींचतान, चहेते को टिकट दिलाने और जिताकर लाने के दावे पर उनका टिकट काट दिया गया और जिलाध्यक्ष रजनीश सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। नामांकन और नामवापसी के बाद भाजपा प्रत्याशी रजनीश सिंह और उनकी टीम प्रचार अभियान में कूद चुके हैं, पर इस मामले में कांग्रेस और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रत्याशियों से काफी पीछे चल रहे हैं। इसकी वजह भी साफ है कि टिकट की घोषणा में देरी और दिवाली त्योहार पड़ जाने के कारण जनता के बीच पहुंचने में थोड़ी परेशानी हुई। दूसरी ओर, बेलतरा विधानसभा में चर्चा का बाजार गर्म है कि पिछले पंचायत चुनाव में रजनीश सिंह के परिवार से जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। उस समय उनके परिवार के प्रत्याशी को करारी हार झेलनी पड़ी थी। पंचायत चुनाव को अभी पांच साल नहीं हुआ है और वही बॉडी अभी भी काम कर रही है। ऐसे में शहरी क्षेत्र के अलावा दूसरे गांवों की जनता सवाल पूछ रही है कि जिस परिवार को पंचायत चुनाव में उनके गांव के मतदाताओं ने नकार दिया, उन पर वो कैसे भरोसा करें। शहरी क्षेत्र के साथ बेलतरा के आसपास के गांवों में यह भी चर्चा है कि वहां की अधिकांश जनता उन्हें जानती तक नहीं। अब तक जनसंपर्क में वे उनसे मिलने तक नहीं आए हैं। उधर, भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में भी क्षेत्र में पानी, सड़क और बिजली की समस्या बनी हुई है। समय पर राशन, पेंशन नहीं मिलने की शिकायत, सो अलग। इन मुद्दों को लेकर जनता सरकार से नाराज दिख रही है। इसका असर भी रजनीश सिंह को झेलना पड़ सकता है। हालांकि उनकी टीम ने दिवाली के बाद से पूरी ताकत झोक दी है और भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार करने में जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। मतदान में अभी 10 दिन शेष है। अब देखना यह है कि इतने दिनों में भाजपा प्रत्याशी रजनीश सिंह जनता तक पहुंचकर उनका कितना भरोसा जीत पाते हैं।

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