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पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को मारी गई गोली तो चीन में मनाया जा रहा है जश्न, जानिए ड्रैगन क्यों करता है नफरत?…

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को गोली मारी गई है, जिसके बाद उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है और अस्पताल में उन्हें बचाने के लिए डॉक्टर जद्दोजहद कर रहे हैं। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शिंजो आबे को गोली लगने के बाद कहा है कि, डॉक्टर जो कुछ भी कर सकते हैं, वो कर रहे हैं। वहीं, दुनियाभर के नेताओं ने शिंजो आबे को लगी गोली पर गहरा दुख जताया है। लेकिन, चीन में शिंजो आबे को लगी गोली पर जश्न मनाया जा रहा है और चीनी सोशल मीडिया पर पर लोग खुशी का इजहार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है, कि आखिर चीन शिंजो आबे से इतनी नफरत क्यों करता है।

चीन में मन रहा है जश्न

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे, जिन्होंने जापानी अर्थव्यवस्था की सूरत बदल दी थी, उनके गोली लगने से बुरी तरह से घायल होने पर चीन में जश्न मनाया जा रहा है और चीन में हमलावर को ‘हीरो’ बताया जा रहा है। जैसे ही जापान के पूर्व प्रधानमंत्री को गोली लगने की खबर आई, ठीक उसके बाद चीन के सोशल मीडिया वीबो पर चीन राष्ट्रवादियों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया और वीबो पर हमलावर को चीनी लोग हीरो बताने लगे। जिससे पता चलता है, कि शिंजो आबे से चीन कितना नफरत करता है। चीनी ऑस्ट्रेलियन आर्टिस्ट Badiucao ने कई ट्वीट्स किए हैं, जिसमें देखा जा रहा है, कि चीन के लोग जश्न मना रहे हैं और ‘एक प्लेट ज्यादा चावल’ खाने की बात कर रहे हैं। वहीं, कुछ लोग कह रहे हैं, कि ‘हम उम्मीद करते हैं, कि मौजूदा जापानी प्रधानमंत्री और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के साथ भी यही किया जाए।’ चीनी राष्ट्रवादी एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं। वहीं, कुछ लोग लिख रहे हैं, कि ‘हम शिंजो आबे की मौत का इंतजार कर रहे है।

शिंजो आबे से क्यों नफरत करता है चीन?

हालांकि, चीन और जापान की प्रतिद्वंदिता अपने आप में ऐतिहासिक है और जापान ने चीन पर हमला कर चीनियों पर काफी जुल्म किए थे, लेकिन ये कई दशक पुरानी बात है और चीन के लोग इस बात को अभी तक नहीं भूल पाए हैं। चीनियों के लिए सबसे बुरी बात ये है, कि वो जापान से आजतक बदला नहीं ले पाया है, लिहाजा चीन नफरत कर ही काम चला रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री बनने के बाद शिंजो आबे ने ताइवान के साथ काफी अच्छे संबंध बनाने शुरू कर दिए, जिससे चीन बुरी तरह से भड़क गया था। शिंजो आबे ने जापान के ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंधों पर काफी जोर दिया, जिससे ताइवान को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी बात रखने में काफी मदद मिली, जिसका चीन ने ना सिर्फ जबरदस्त विरोध किया था, बल्कि चीन ने जापान को धमकी भी दे डाली थी। शिंजो आबे ने एक संबोधन में साफ कहा था, कि चीन को अपने पड़ोसी देशों से जमीन छीनने की कोशिश से बचना चाहिए।

चीन के खिलाफ थी शिंजो आबे की नीति

प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद भी शिंजो आबे लगातार ताइवान के मुद्दे पर बोलते रहे और दिसंबर 2021 में शिंजो आबे ने कहा था, कि ‘स्व-शासित ताइवान के खिलाफ किसी भी चीनी सैन्य कार्रवाई के गंभीर सुरक्षा और आर्थिक परिणाम होंगे’। शिंजो आबे की इस चेतावनी ने चीन को काफी भड़का दिया था और चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था, कि आबे ने ‘बकवास की बात की है, ताइवान के मुद्दों पर उंगलियां उठाईं और चीन के आंतरिक मामलों पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी की है।’ उन्होंने कहा था कि, ‘चीन इसका कड़ा विरोध करता है और इसकी निंदा करता है और राजनयिक चैनलों के माध्यम से जापान से विरोध जताएगा।

चीन जापान संबंध

चीन और जापान के संबंध कभी भी मधुर नहीं रहे हैं और जब भी दोनों देशों के बीच के संबंध की बात आती है, तो साल 1937 में चीन के नानजिंग शहर में किए गये कत्लेआम की कहानी सबसे पहले आती है। दरअसल, दिसंबर 1937 में जापानी सैनिकों ने नानजिंग शहर को अपने कब्जे में ले लिया था और वहां पर भारी कत्लेआम मचाया था। जापानी सैनिकों ने बेरहमी से चीनियों की हत्या की थी और चीनी महिलाओं से बलात्कार किया था। ये कत्लेआम करीब चार महीनों तक चला था और चीनी इतिहासकारों का कहना है, कि जापानी सैनिकों ने करीब ढाई से तीन लाख चीनी नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया था, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। हालांकि, जापान की तरफ से हमेशा से इस कत्लेआम से इनकार किया गया, लेकिन जापान ने कई रेप और हत्या की बात स्वीकार भी की थी।

1931 में हुआ था चीन-जापान युद्ध

साल 1931 में पहली बार चीन और जापान के बीच लड़ाई लड़ी गई थी और उस वक्त चीन काफी कमजोर हुआ करता था, जिसे देखते हुए जापान ने चीन के मंचूरिया शहर पर हमला कर दिया था। जापानी सैनिकों ने आक्रमण एक भारी विस्फोट के साथ किया था और चीनी सैनिकों को भारी नुकसान पहुंचाते हुए जापानी सैनिकों ने चीन के कई शहरों पर कब्जा कर लिया था। इस दौरान चीन में गृहयुद्ध चल रहा था और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और नेशनलिस्ट पार्टी के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था और चीन के नेशनलिस्ट पार्टी के नेता च्यांग-काई-शेक ने नानजिंग को अपना राजधानी घोषित कर दिया था। हालांकि, जापान के लोगों का मानना है कि, चीन में जापानी आक्रमण को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, लेकिन ये एक तथ्य है, कि जापान ने मंचूरिया शहर पर कब्जा कर लिया था। बाद में चीन की दोनों पार्टी जापानियों से युद्ध लड़ने के लिए एक साथ आ गये और 1937 में चीन और जापान के बीच भारी युद्ध हुआ, जिसमें लाखों चीनी नागरिक और सैनिक मारे गये। हालांकि, 1945 में जब दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हुआ, तो चीन और जापान की लड़ाई भी खत्म हो गई और उसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने पूरे चीन पर अपना शासन स्थापित कर लिया।

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