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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के किसान ने खेती करने के लिए खरीदी हेलीकॉप्टर, आइए जानें कितनी कमाई है सालाना…

खेती के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग करेंगे। उन्होंने हॉलैंड की कंपनी रॉबिंसन के साथ R-44 हेलीकॉप्टर की डील की है। यह चार सीटर है

Chhattisgarh Farmer Success Story: हमारे यहां आमतौर पर यह धारणा है कि पढ़े-लिखे लोग खेती का काम नहीं करते हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ के किसान राजाराम त्रिपाठी ने बैंक अफसर की नौकरी छोड़कर खेती शुरू की। अब कमाई इतनी है कि वह हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में बस्तर घोर नक्सल प्रभावित इलाका है। इस इलाके का नाम सुनते ही नक्सलियों का खौफ जेहन में आता है। लेकिन इन दिनों देश में बस्तर की चर्चा एक किसान की वजह से हो रही है। किसान का नामा राजाराम त्रिपाठी है। वह मूसली, काली मिर्च और स्टेविया की खेती करते हैं। इस खेती से किसान की कमाई करोड़ों में पहुंच गई है। अब उन्होंने खेती के कार्यों के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने का फैसला किया है। इसके लिए किसान राजाराम त्रिपाठी ने हॉलैंड की कंपनी के साथ सात करोड़ रुपए में डील की है। कागजी कार्रवाई पूरी हो गई है जल्द ही हेलीकॉप्टर की डिलीवरी हो जाएगी। इसके साथ ही राजाराम त्रिपाठी हेलीकॉप्टर वाले पहले किसान हो जाएंगे।

छोड़ी बैंक अफसर की नौकरी: राजाराम त्रिपाठी की गिनती छत्तीसगढ़ के बड़े किसानों में होती है। वह बस्तर के कोंडागांव में रहते हैं। खेती कोंडागांव और जगदलपुर में करते हैं। वह स्थानीय आदिवासियों के साथ मिलकर करीब एक हजार एकड़ में मूसली, काली मिर्च और स्टेविया की खेती करते हैं। उनके साथ उनका परिवार भी खेती के काम में लगा है। खेती शुरू करने से पहले वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में प्रोबेशनर ऑफिसर थे। नौकरी में रहते हुए 1996 में उन्होंने खेती शुरू की थी। खेती में सफलता मिलने के बाद राजाराम त्रिपाठी ने नौकरी छोड़ दी थी।

सबसे पहले शुरू की थी सब्जी की खेती

कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद राजाराम त्रिपाठी को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में प्रोबेशनर ऑफिसर के रूप नौकरी मिली थी। उनकी पोस्टिंग कोंडागांव में हुई थी। 1996 में राजाराम त्रिपाठी ने पांच एकड़ में सब्जी की खेती शुरू की थी। उन्होंने मूसली और अश्वगंधा से इसकी शुरुआत की। खेती के दौरान उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ तो बैंक की नौकरी छोड़ दी। इसके बाद से राजाराम त्रिपाठी लगातार खेती कार्य में लगे हुए हैं।

2002 में लगा था झटका: खेती के क्षेत्र में राजाराम त्रिपाठी अपना दायरा बढ़ा रहे थे। 2002 में मूसली की कीमतों में गिरावट आई तो उन्हें बड़ा झटका लगा। उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। वह लगातार नए आइडिया के साथ काम कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने और कई प्रकार की खेती शुरू की। इसमें काली मिर्च, स्टेविया के साथ अन्य फसलों का उत्पादन विदेशी तरीके से शुरू किया। किसान राजाराम त्रिपाठी को इसमें सफलता मिलने लगी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है।

बना ली है अपनी कंपनी: किसान राजाराम त्रिपाठी 400 आदिवासियों को साथ लेकर एक हजार एकड़ में औषधीय खेती करते हैं। इसके बाद उन्होंने अपनी एक कंपनी बना ली है। इसका नाम मां दंतेश्वरी हर्बल समूह है। कंपनी का टर्नओवर 25 करोड़ है। कंपनी अमेरिकी और यूरोपीय देशों में काली मिर्च का निर्यात करता है। खेती के लिए वह ऑस्ट्रेलियन ट्रिक का इस्तेमाल करते हैं। भारत सरकार उन्हें देश के सर्वेश्रेष्ठ किसान ऑवर्ड से सम्मानित कर चुकी है। वह खेती कार्य में उपयोग होने वाले तकनीक को विदेश जाकर देखते रहते हैं।

खेती कार्य में का करेंगे उपयोग: राजाराम त्रिपाठी उन्नत खेती के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग करेंगे। उन्होंने हॉलैंड की कंपनी रॉबिंसन के साथ R-44 हेलीकॉप्टर की डील की है। यह चार सीटर है। खेती के हिसाब से इसमें अलग फीचर होंगे। इसे उड़ाने के लिए किसान राजाराम त्रिपाठी के भाई और बेटा उज्जैन स्थित उड्डयन अकादमी से ट्रेनिंग लेंगे। राजाराम त्रिपाठी ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि अकादामी से बात हो गई है। जल्द ही दोनों ट्रेनिंग के लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारी इस कोशिश से युवा वर्ग को खेती कार्य से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी। साथ ही सरकार भी ऐसे लोगों को खेती कार्य के लिए प्रोत्साहित करे।

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