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शिक्षा विभाग में पोस्टिंग घोटाला: ये शिक्षक हैं… पहले से ही सब जानते हैं…आदेश रद्द हुआ तो रिकवरी के लिए उठाएंगे कड़े कदम…प्रभावित शिक्षकों की कमेटी बनी…बैठक में तय हो चुका है निर्णय…

शिक्षा विभाग में हुए करोड़ों रुपए के पोस्टिंग घोटाले के तार बिलासपुर संभाग के हरेक जिले और ब्लॉक से जुड़े हुए हैं। हर जगह एजेंट

बिलासपुर। शिक्षा विभाग में हुए करोड़ों रुपए के पोस्टिंग घोटाले के तार बिलासपुर संभाग के हरेक जिले और ब्लॉक से जुड़े हुए हैं। हर जगह एजेंट तैनात थे, जो डेढ़ से दो लाख देने पर मनचाही जगहों पर संशोधित पोस्टिंग आदेश निकलवाकर दे रहे थे। पूरे घोटाले से पर्दा तो उठ गया है, लेकिन इस घोटाले को अंजाम दिलाने वाले एजेंटों के चेहरों पर अभी भी नकाब है। इधर, संशोधन आदेश रद्द करने की मांग उठने लगी है। इस बीच प्रभावित शिक्षकों ने भी आदेश रद्द होने पर कड़ा कदम उठाने के लिए कमर कस ली है। प्रभावित शिक्षकों की एक टीम ने बैठक कर सारी रणनीति तैयार कर ली है। उन्हें बस इंतजार है तो संशोधित आदेश निरस्त होने का।

शिक्षा विभाग के संभागीय कार्यालय द्वारा 700 से अधिक शिक्षकों की पदस्थापना में संशोधन का बड़ा खेला खेला गया है। सरकार का मामला पहुंचा तो जांच हुई, जिसमें सारे घोटाले का पर्दाफाश हो चुका है। इस मामले में सरकार ने संयुक्त संचालक एसके प्रसाद और सहायक ग्रेड 2 विकास तिवारी को सस्पेंड कर दिया है। जांच रिपोर्ट भी शासन को भेजी जा चुकी है। जांच में घोटाले की पुष्टि होने के बाद शिक्षा विभाग से जुड़े एक धड़े ने संशोधन आदेश को रद्द करने की मांग उठाकर खलबली मचा दी है। इसके लिए उन्होंने कलेक्टर से लेकर संभाग आयुक्त भीम सिंह को अर्जी तक सौंप दी है। यह मांग उठते ही घोटाले के पर्दे के पीछे से खेल खेलने वाले अधिकारी, नेता से लेकर कर्मचारी और बाहर एजेंटों के होश उड़ने लगे हैं तो डेढ़ से दो से दो लाख रुपए देकर मनचाही जगह पर पोस्टिंग कराने वाले टीचरों की सांसें अटक गई हैं।

हर एजेंट से बातचीत का है रिकार्ड

प्रभावित शिक्षकों के अनुसार संभागीय कार्यालय की ओर से हर जिले और ब्लॉक में पोस्टिंग आदेश में संशोधन कराने के लिए एजेंट तैनात किए गए थे। ज्यादातर एजेंट शिक्षा विभाग से जुड़े हुए हैं। करीब 25 प्रतिशत एजेंट बाहरी हैं। या यूं कहें कि ये ओहदेदार नेता, पीए से लेकर ट्रांसफर करने वाले अधिकारी के करीबी हैं। ये एजेंट पदोन्नति के बाद मिले स्थान से असंतुष्ट शिक्षकों से संपर्क करते थे। फिर इनके बीच सौदा तय होता था। दुनिया को ज्ञान बांटने वाले शिक्षक बिना सबूत लाखों रुपए कैसे किसी के हवाले कर देते। लगभग सभी शिक्षकों के पास पैसे देने का बड़ा सबूत है। किसी के पास वीडियो रिकार्डिंग तो किसी के पास वाइस रिकार्डिंग है। इस सबूत को वे समय आने पर पेश करेंगे।

शपथ पत्र में एजेंटों के नाम का करेंगे खुलासा

पोस्टिंग आदेश रद्द होने की मांग उठने पर मोटी रकम देकर संशोधन कराने वाले शिक्षक भी सक्रिय हो गए हैं। कुछ ही दिनों में इनकी एक कमेटी भी बन गई है। बताया जा रहा है कि हाल ही में इस कमेटी की गोपनीय बैठक हुई है, जिसमें कई तथ्यों पर विचार-विमर्श किया गया है। मसलन, पोस्टिंग आदेश रद्द होने पर क्या कदम उठाए जा सकते हैं। भारी मंथन के बाद तय किया गया है कि यदि संशोधन आदेश रद्द होता है तो कमेटी में शामिल सारे शिक्षक पहले तो खुद के स्तर पर रिकवरी की कोशिश करेंगे। वे उन लोगों पर पैसा वापस करने के लिए दबाव बनाएंगे, जिन्होंने पैसे लेकर संशोधित आदेश निकलवाया है। इसके बाद भी बात नहीं बनी तो सारे शिक्षक शपथ पत्र में पैसे लेकर संशोधित आदेश जारी कराने वाले एजेंटों के नामों का खुलासा करेंगे।

किसी ने जमीन तो किसी ने जेवर बेचकर जुटाए हैं पैसे
प्रभावित शिक्षकों की बैठक में दो लाख रुपए जुटाने के संदर्भ में भी चर्चा की गई। सबसे बारी-बारी पूछा गया कि उन्होंने इतनी बड़ी रकम कहां से व्यवस्था की। सबने अपना हाल सुनाया। निष्कर्ष के तौर पर यह बात सामने आई कि किसी ने जमीन तो किसी ने जेवर बेचकर पैसे जुटाए थे।

एक शिक्षक से हुई बातचीत के मुख्य अंश

सवाल:- सहायक शिक्षक एलबी के पद से आपका भी प्रमोशन हुआ है?
जवाब:- हां।
सवाल:- पहले कहां पोस्टिंग मिली थी?
जवाब:- जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर।
सवाल:- पुरानी और नई पदस्थापना स्थल का नाम बता सकते हैं?
जवाब:- अभी नहीं।
सवाल:- आपने किसके जरिए पोस्टिंग आदेश में संशोधन कराया?
जवाब:- अभी नाम नहीं बताऊंगा, पर इतना जरूर बता रहा हूं कि वह शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ है।
सवाल:- आदेश संशोधन कराने वाले एजेंट ने आपसे कैसे संपर्क किया?
जवाब:- ये भी कोई पूछने वाली बात है। हर जिले और ब्लॉक में एजेंट तैनात थे, जिनके पास पदोन्नत शिक्षकों के नाम और पते की सूची थी। मोबाइल नंबर भी था। एजेंट ने सीधे मोबाइल नंबर से संपर्क किया और पूछा कि मनचाही जगह पर पोस्टिंग चाहिए क्या। हामी भरने पर जिला मुख्यालय में बुलाया। फिर सौदा तय हुआ दो लाख रुपए में।
सवाल:- क्या आपके पास पहले से दो लाख रुपए थे? यानी कि आपने इतने रुपए कहां से जुटाए?
जवाब:- घर में माता-पिता और बच्चों को मिलाकर 10 सदस्य हैं। मैं अकेले कमाने वाला हूं। बच्चों की पढ़ाई में अच्छी-खासी रकम चली जाती है। ऐसे में जमा पूंजी कहां से रहेगी। घर में पत्नी और बच्चों के जेवर थे, जिसे बेचकर एजेँट को पैसे दिए थे।
सवाल:- इतनी रकम क्यों दी। पुरानी जगह पर भी नौकरी कर सकते थे?
जवाब:- वहां तक आने जाने में बहुत कठिनाई होती। वहां तक बस भी नहीं चलती। जंगल एरिया होने के कारण वहां रात रुकना भी कठिन था।
सवाल:- … तो ऐसे में प्रमोशन नहीं लेना था?
जवाब:- हर कोई रिटायर होने से पहले बड़े पद पर पहुंचना चाहता है, ताकि समाज में मान-सम्मान रहे। प्रधान पाठक एक सम्मानित पद है। रिटायर होने के बाद अच्छी-खासी पेंशन मिलेगी। इसलिए प्रमोशन लिया।
सवाल:- अब तो घोटाले पर से पर्दा उठ गया है, आदेश निरस्त होने की मांग की जा रही है। आदेश रद्द हुआ तो आपके पैसे डूब जाएंगे?
जवाब:- जब हमने पैसे दिए, उसी समय सारी स्थिति के बारे में विचार कर लिया था। जिसे हमने पैसे दिए हैं, सबूत के तौर पर लेनदेन की वीडियो रिकार्डिंग है। पहले पैसे वापस करने के लिए कहेंगे। नहीं किया तो एजेंट और उसके आकाओं को भी नंगा कर देंगे।
सवाल:- यह काम क्या आप अकेले करेंगे?
जवाब:- नहीं, हमारी एक गोपनीय कमेटी बन गई है। कमेटी की लगातार बैठकें हो रही हैं। सभी ने निर्णय लिया है कि अगर पैसे वापस नहीं मिलेंगे तो सरकार को एजेंटों के नाम के साथ शपथ पत्र सौंपेंगे।
सवाल:- पोस्टिंग घोटाले में सत्ता और विपक्ष के नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं। यदि सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की तो क्या करेंगे?
जवाब:- इस बारे में भी बैठक में निर्णय हो चुका है। शासन-प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की तो हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। वैसे सरकार पर हमें पूरा भरोसा है।

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