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थैलेसीमिया पीड़ितों के मुफ्त इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट में दर्ज हुई याचिका, अदालत के केंद्र और राज्य सरकार को भेजा नोटिस…


थैलेसीमिया पीड़ितों की पीड़ा और जिंदगी का संघर्ष बयां करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में निशक्त जन अधिकार कानून (राइट टु पर्सन विद डिसएबेलिटी) 2016 का हवाला देते हुए थैलेसीमिया पीड़ितों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका थैलेसीमिया पीड़ित 13 वर्षीय बच्ची के पिता मनवीर सिंह ने दायर की है. कोर्ट ने याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर दिया है, साथ ही मसले पर जवाब मांगा है.

बेटी की बीमारी के चलते थैलेसीमिया पीड़ितों की हालत से रूबरू होने वाले मनवीर का कहना है कि हर महीने बेटी की दवाइयों पर 10,000 से 12,000 रुपये का खर्च आता है. ये दवाइयां सोसाइटी से लेनी पड़ती हैैं, आम मेडिकल स्टोर और दवाइयां अस्पतालों में ये दवाइयां नहीं मिलती हैैं. इस रोग में रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, जिसमे भी लापरवाही बरती जाती है. कई बार उसमें फिल्टर का प्रयोग तक नहीं किया जाता. मानवीर का कहना है कि ऐसे मरीजों की पीड़ा देखते हुए ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मनवीर की वकील स्नेहा मुखर्जी की दलीलें सुनने के बाद याचिका में प्रतिपक्षी बनाए गए केंद्र व सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर दिया है. याचिका में कहा गया है कि भारत में हर वर्ष थैलेसीमिया से पीड़ित करीब 10 से 12 हजार बच्चे जन्म लेते हैैं, उसके बाद भी देश में कहीं भी इस बीमारी के प्रति जागरुकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है, जबकि यह एक घातक बीमारी है जो कि किसी व्यक्ति को जन्म से ही होती है.

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