Advertisement
छत्तीसगढ़बिलासपुरराजनीति

छत्तीसगढ़: बसपा और जोगी कांग्रेस के गठबंधन ने भाजपा को पहुंचाया नुकसान…ग्रामीण और किसान थे परेशान…भाजपा के सत्ता से बाहर होने के ये हैं प्रमुख कारण…

छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों के राजनीतिक वनवास को खत्म कर सत्ता में लौटने की राह देख रही कांग्रेस का सपना पूरा हो गया है। चुनाव मतगणना के रुझानों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी राज्य में बहुमत हासिल कर लिया है। इसके साथ ही चौथी बार सत्ता हासिल करने की भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिर गया। अपनी जीत को लेकर आश्वस्त भाजपा रमन सिंह के लिए यह नतीजे अप्रत्याशित हैं।

गठबंधन ने पहुंचाया नुकसान

राज्य में मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के गठबंधन ने चुनाव नतीजों को प्रभावित किया है। इस गठबंधन के चुनावी मैदान में आने के बाद भाजपा के रणनीतिकारों भी कुछ ऐसे ही नतीजों की आस लगाए बैठे थे।

भाजपा नहीं रोक पाई नुकसान

भाजपा के रणनीतिकारों का अनुमान था कि माया, जोगी और सीपीआई के गठबंधन को यदि आठ फीसदी तक वोट मिलते हैं तो भाजपा फिर से सत्ता हासिल कर लेगी। लेकिन इसके उलट उनका यह अनुमान था कि यदि गठबंधन का वोट प्रतिशत 10 फीसदी को पार कर गया तो पार्टी के लिए वापसी की राह भी मुश्किल हो सकती है।

गौरतलब है कि राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव की तरह ही करीब 76 फीसदी मत पड़े हैं। लेकिन, पिछले तीन चुनाव से उलट इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रह चुके अजीत जोगी की नई पार्टी, बसपा और भाकपा के गठबंधन ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया।

बीजेपी के परंपरागत वोटों पर सेंध

भाजपा के एक रणनीतिकार की मानें तो इस गठबंधन को आठ फीसदी तक वोट हासिल होने का अर्थ है कि अजित जोगी कांग्रेस के परंपरागत मतदाताओं सतनामी, आदिवासी, ईसाई, मुस्लिम बिरादरी को साधने में कामयाब रहे हैं। इसके उलट यदि गठबंधन का मत प्रतिशत बढ़ता है तो इसका सीधा सा अर्थ है कि इसने भाजपा के परंपरागत मतदाताओं में भी सेंध लगाई है।

ग्रामीण और किसान थे भाजपा से परेशान

वैसे राज्य में भाजपा को गुजरात की तर्ज पर ग्रामीण वोटर और किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा नाममात्र की शहरी सीटें और कथित तौर पर पार्टी के साहू वोट बैंक में कांग्रेस की सेंधमारी ने भी परेशानी खड़ी की है। चूंकि पार्टी यहां पिछले 15 वर्षों से सत्ता में है, इसलिए राज्य में स्वाभाविक सत्ता विरोधी रुझान भी सामने आए हैं।

ट्राइबल क्षेत्र में भारी मतदान भाजपा के विरोध में

प्रथम चरण में बस्तर क्षेत्र में भारी मतदान को लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म रहा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुताबिक यदि मतदान कराने में नक्सलियों की भूमिका रही है तो भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

error: Content is protected !!