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जंगलो के बीच तय किया 50 किलोमीटर का रास्ता, 3 नदियों को पार कर लगाने पहुंची नर्स दीदी, कोरोना का टीका…

लगातार बारिश से बाढ़ के हालत अब भी बने हुए हैं, लेकिन लोगों को बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए प्रदेश का स्वास्थ्य अमला लगातार जुटा हुआ...

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में लगातार बारिश से बाढ़ के हालत अब भी बने हुए हैं, लेकिन लोगों को बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए प्रदेश का स्वास्थ्य अमला लगातार जुटा हुआ है। शहरों में रहने वालों ने भले ही कोरोना के प्रति जंग में जागरूकता खो दी हो, लेकिन घने जंगलों पर उफनते नदी नदी नालों से घिरे बीजापुर के गांवों में अब भी इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई जारी है। तमाम खराबियों के बाजवूद आज भी कुछ ईमानदार सरकारी कर्मचारियों के बदौलत ही देश आगे बढ़ता है,इसका उदाहरण बीजपुर के स्वास्थ कर्मचारियों ने दिया।

कमर से ऊपर था पानी, हाथ में बॉक्स पकड़कर पार नदी

मंगलवार को एक सुंदर तस्वीर सामने आई जिसमे स्वास्थ विभाग की टीम नदी पार करके दुर्गम रास्तों से होते हुए बीजापुर के गांवों में पहुंची और ग्रामीणों को कोविड 19 से बचाव का टीका लगाया। लोगों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने स्वास्थ्य विभाग की टीम मुश्किल हालातों के बीच भी दुर्गम और दूरस्थ अंचलों में पहुंच रही है। बीजापुर जिले के मारूड़बाका उप स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत आने वाले तीन गांवों लिंगापुर, नेलाकांकेर और मारूड़बाका में कोरोना से बचाव का टीका लगाने स्वास्थ्य विभाग की टीम एक नहीं बल्कि तीन नदियों को पार कर पहुंची।

जंगलो के बीच तय किया 50 किलोमीटर का रास्ता

अचानक हुई बारिश की वजह से लौटते समय इन तीनों नदियों का जलस्तर कमर से ऊपर तक पहुंच चुका था। तेजी से बढ़ते पानी और तेज बहाव से भरी नदियों को पार करके स्वास्थ विभाग की टीम नर्सों के साथ ग्रामीणों की सहायता से पैदल पार कर वापस पहुंची। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उसूर से उप स्वास्थ्य केन्द्र मारूड़बाका की दूरी करीब 30 किलोमीटर है।

मारूड़बाका उप स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत 9 आश्रित गांव हैं। यह सभी गांव नदी के दूसरी तरफ हैं और अतिसंवेदनशील क्षेत्र में आते हैं। इनमें से अधिकांश गांवों की उसूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से दूरी 30-35 किलोमीटर है। दो गांव करीब 50 किलोमीटर दूर हैं।

पता था मुश्किलें आएंगी, लेकिन फर्ज निभाना जरुरी था

कोविड वैक्सीनेशन के लिए 3 नदियों राला वागु, इल्का और कोंगा वागु को पार कर लिंगापुर, नेलाकांकेर और मारूड़बाका पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम में ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारी (RHO) ज्योति सिदार, नागमणी चिलमुल, रमेश गड्डेम और शिक्षक आनन्द राव यालम शामिल थे। उसूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से गांव जाते समय भी नदियों में पानी था ,जिसे पार करके वह गांव पहुंचे। मौसम ख़राब था, टीम को पता था कि हालात और भी बिगड़ सकते हैं,लेकिन इसके बावजूद अपना फर्ज निभाते हुए सभी टीका लगाने गांवो में गए।

चरवाहे ने की नदी पार करने में मदद

स्वस्थ विभाग का अमला अपना काम खत्म करके जब वापसी के सफर पर निकला,तो अंदेशा सच साबित हुआ। तेज बारिश के कारण नदियों का जल स्तर बढ़ने लगा। कोंगा वागु नदी में छाती तक पानी भरा होने के कारण टीम पार नहीं कर पा रही थी। कुछ समय इन्तजार करने के बाद भी नदी का जलस्तर कम नहीं होता देखकर टीम के सदस्यों ने पास में ही मवेशी चरा रहे लोगों के माध्यम से गांव में खबर भिजवाई।

ग्रामीणों के पहुंचने पर उनकी सहायता से टीम ने

सुरक्षित नदी पार किया। कोंगा वागु नदी पार करने के बाद दल को आगे दो और नदियां इल्का और राला वागु भी पैदल पार करना पड़ा। तीनों नदियों को पार कर स्वास्थ्य विभाग की टीम कीचड़युक्त पगडण्डी रास्ते से पैदल चलकर भूषापुर से पहाड़ी रास्ते से शाम करीब सात बजे गलगम पहुंची। वहां मोबाइल का नेटवर्क मिलने पर टीम ने सेक्टर प्रभारी हरिशंकर ध्रुव से संपर्क किया। उनके द्वारा एम्बुलेंस भेजने के बाद टीम रात 8 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उसूर पहुंची।

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