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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में खाद्य विभाग का इकलौता लैब, सैम्पल की रिपोर्ट मिलने तक बिक जाती है मिठाइयां…

दीपावली के नजदीक आते ही छत्तीसगढ़ के मिठाई की दुकानों में खाद्य विभाग दबिश दे रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ में मिठाइयों और लिए गए सैम्पल की जांच के लिए समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण एक एक महीने तक रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता है तब तक मिठाईयां बिक चुकी होती हैं। विडंबना यह भी है कि प्रदेश की राजधानी में स्थित इकलौते लैब को FSSAI ने सिर्फ 6 प्रकार के खाद्य पदार्थो की जांच के लिए मान्यता दी है।

17 साल पुराने लैब को 17 महीनों के लिए मिली मान्यता

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित प्रदेश की इकलौती खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की प्रयोगशाला को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 1 फरवरी 2022 को 4 जुलाई 2023 तक के लिए मान्यता दी है। ड्रग टेस्टिंग लैब में 40 पद आज भी खाली है। FSSAI से मशीनें आने के बाद भी मशीनें इंस्टाल नहीं कि गई थी। 17 साल पुराने इस लैब में आज भी पर्याप्त स्टाफ, जांच की मशीनों की कमी हैं। जिसकी वजह से एफएसएसएआई ने मान्यता समाप्त कर दी थी।

सिर्फ 6 प्रकार के खाद्य पदार्थों की जांच के लिए मिली मान्यता

रायपुर में स्थित खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की लैब को FSSAI ने सिर्फ छह प्रकार के खाद्य पदार्थों की जांच के लिए अनुमति मिली है। जिसमें अनाज अनाज से बने उत्पाद, नमक, मसाले, वनस्पति तेल, वसा , इमल्शन और डेयरी उत्पाद और एनालॉग्स की जांच शामिल है। जबकि सेंट्रल लैब में 50 से अधिक खाद्य पदार्थों की जांच की जानी चाहिए। महाराष्ट्र, उड़ीसा जैसे राज्यों में सुव्यवस्थित लैब व स्टाफ होने के कारण 30 प्रकार के खाद्य पदार्थों की जांच के लिए मान्यता मिली है।

15 से 30 दिनों में मिलती है सैम्पल की रिपोर्ट

खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि रक्षाबंधन, होली या दीपावली पर्व आते ही यह विभाग सैंपल कलेक्ट करने के लिए बाजार में पहुंचते हैं। लेकिन इस सैंपल की जांच के लिए राजधानी रायपुर में ही एकमात्र लैब उपलब्ध है। जिसके चलते सैम्पल की रिपोर्ट आने में 15 से 30 दिन का समय लगता है। क्योंकि प्रदेश भर के सैंपल की जांच की रायपुर स्थित लैब में होती है। तब तक संबंधित दुकानों की मिठाईयां बिक चुकी होती है। ऐसे में अब संभाग स्तर पर सैंपल के लिए जांच लैब शुरू करने की आवश्यकता है। खाद्य विभाग ने इसके लिए प्लान भी बनाया है। लेकिन फिलहाल या फाइलों में है।

बनारस से की जा रही नकली खोवे की सप्लाई

सरगुजा जिले के अंबिकापुर शहर में भारी मात्रा में नकली खोवे से बनी मिठाइयों का व्यापार होता है। बीते दिनों खाद्य विभाग ने लगभग 120 दुकानों से सैंपल लिए हैं। दरअसल त्योहारी सीजन में लगभग सरगुजा जिले में 20 लाख से अधिक मिठाईयों का व्यापार होता है। ग्राहकों को त्योहारी सीजन में सस्ती मिठाइयां उपलब्ध कराने के चक्कर में व्यापारी नकली खोवा, छेना, पनीर का उपयोग करते हैं। खाद्य अधिकारियों के अनुसार इस बार बनारस से नकली खोवा छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर के अलावा बलरामपुर, कोरिया, जशपुर जिले में नकली सफेद व लाल खोवा पहुंच रहा है। वही रांची से नकली पनीर की सप्लाई भी की जा रही है।

बनारस से मंगाया दो क्विंटल खोवा, संदेह होने पर लिया सैम्पल

रायपुर से एक बस में बोरियों में भरकर एक व्यापारी द्वारा लाई जा रही लगभग 2 क्विंटल सिंथेटिक मिलावटी खोवा होने के संदेह में खाद्य विभाग के अधिकारियों ने जप्त कर सैम्पल कलेक्ट किये हैं। यह खोवा ट्रेन के माध्यम से रायपुर मंगाया गया था। जिसे जांच के लिए रायपुर स्थित लैब भेजा गया है। लेकिन पिछले 1 साल के के भीतर खाद्य विभाग द्वारा कार्रवाई की बात करें तो अधिकारियों ने 10 व्यापारियों पर कार्रवाई की ह। इन मामलों में अब तक सुनवाई नहीं की जा सकती है।

इस तरह तैयार होता है नकली सिंथेटिक खोवा

सरगुजा संभाग में दूध उत्पादन में कमी के बाद भी व्यापारी नकली खोए के माध्यम से मिठाई की आपूर्ति शहरों में करते हैं। लगभग 1000 किलो नकली खोवे की खपत इन शहरों में की जाती है। नकली खोवा बनाने के लिए 200 मिलीलीटर दूध में 10 ग्राम वाशिंग पाउडर , यूरिया, 800 एमएल रिफाइंड तेल या घटिया वनस्पति घी को पानी डालकर मिलाया जाता है। इस तरह 1 लीटर दूध से 20 लीटर सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है। वहीं कुछ तो मैदा आलू, शकरकंद का भी इस्तेमाल मावे के लिए करते हैं, और इसी से सिंथेटिक खोवा तैयार होता है। इस तैयार खोवे को असली खोवा बताकर दुकानदारों को बेचा जाता है। जो इंसान की सेहत के लिए खतरनाक होता है।

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