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ज्ञापन सौपने आये कांग्रेसियो को पुलिस की संख्या ने पछाड़ा

बिलासपुर। प्रदेश कांग्रेस के आह्वान पर राज्य में अकाल से प्रभावित किसानों की मांगो और मुद्दों को लेकर आज जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा किसानों को फसल बीमा, रोजगार, मुआवजा आदि की मांगों को लेकर कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पूर्व में ही प्रत्येक जिले कांग्रेसियों को निर्देशित किया था कि 19 फरवरी को किसान हित के मुद्दों को लेकर व्यापक स्तर पर कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा जाय लेकिन बिलासपुर कांग्रेस कमेटी के नेताओ और पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की कम उपस्तिथि ही उनकी निष्क्रियता और ढकोसले की पोल खोल कर रख दी।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर आज 19 फरवरी को प्रदेश व्यापी किसान हित के मुद्दों को लेकर सभी जिले के कांग्रेसियों को कलेक्टर कार्यालय पहुंच राज्यपाल के नाम किसानों के विभिन्न मुद्ददो और मांगो को लेकर ज्ञापन सौंपा जाना था जिसके तहट बिलासपुर कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदेश कांग्रेस के निर्देशानुसार बिलासपुर जिला प्रभारी पाली तानखार विधयक कांग्रेस जिला प्रभारी रामदयाल उइके के नेतृत्व में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे जहाँ कांग्रेसियो को रोकने पुलिस और जिला प्रशासन ने पहले से ही तैनाती और बेरिकेट लगाकर तैयारीया कर चुकी थी जिसपर संभाग से पुलिस बल की सहायता लिया गया था।

ज्ञापन सौंपने जब कांग्रेसी कलेक्टर कार्यलय पहुंचे तो पुलिस व्यस्था देख स्वमं को लाचार होने की अनुभूति करने लगे क्योंकि ज्ञापन सौंपने आये कांग्रेसियो की संख्या पुलिस की संख्या से काफी कम थी जिससे लोगो और प्रदर्शनकारियों के अंदर कौतूहल का विषय बना हुआ था इन सभी स्थितियों का आंकलन लगाया जाय तो जिले में कांग्रेसियो के बीच आपसी तालमेल और पार्टी के प्रति समर्पण की भवना में लगातार खामियां देखने को मिल रही है। जिसकी पूरी जिम्मेदारी पदधिकारियों की मानी जायेगी क्योंकि कांग्रेस के पदाधिकारियों में ही आपसी तालमेल की बहुत बड़ी समस्या है जिसका परिणाम आगामी होने वाले विधानसभा चुनाव में खामियाजा के रूप में लगाया जायगा। नेतृत्व क्षमता में भी इनकी भूमिका अचेतन अवस्था का प्रमाण है। जबकि कांग्रेसियो ने 8 सूत्रीय किसान हित की मांगों का कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।

कांग्रेसियो द्वारा प्रदर्शन के दौरान कलेक्टर कार्यालय का मुख्यमार्ग बेरीकेट से रोक दिया गया था जिससे आवश्यक काम से कलेक्टोरेट एवं अन्य शासकीय कार्यालयों में पहुंचने के लिए आम नागरिकों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही थी।

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