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नासा की सैटेलाइट इमेज से हुआ खुलासा, आग से घिरा हुआ है छत्तीसगढ़ सहित आधा हिंदुस्तान

नासा द्वारा जारी की गई पिछले 10 दिनों की तस्वीरों के मुताबिक भारत के बड़े हिस्से में आग जैसे निशान दिखाई दे रहे है। यह स्थिति उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ समेत दक्षिण के कई राज्यों में भी दिखाई दे रही है। इन आग के निशानों के पीछे जंगलों की आग की भी वजह हो सकती हैं, लेकिन भारत के बड़े हिस्से में दिख रहे आग के इन निशानों पर नासा के गॉडडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर स्थित रिसर्च साइंटिस्ट हिरेन जेठवा ने बताया कि मध्य भारत में आग के ऐसे निशान दिखने की वजह जंगलों की आग नहीं बल्कि फसलों के अवशेष जलाया जाना है।

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि धान की पराली पशुओं के चारे के तौर पर अच्छा विकल्प नहीं माना जाता था, इसलिए किसान धान की पराली को खेत में ही जला देते थे। लेकिन अब गेहूं की फसल के अवशेष को भी जलाना किसानों ने शुरू कर दिया है।

नासा द्वारा जारी की गई पिछले 10 दिनों की तस्वीरें

भारत के बड़े हिस्से में आग जैसे निशान

नासा द्वारा जारी की गई तस्वीरों में जिन राज्यों में आग के निशान नजर आ रहे हैं वो धान और गेहूं की खेती के लिए जाने जाते हैं। फसलों की कटाई दो तरह से होती है- एक किसान खुद कटाई करते हैं और दूसरा मशीनों के इस्तेमाल से। तेकिन अब लेबर की कमी के कारण मशीनों से ही फसलों की कटाई का काम अधिकांश होने लगा है।

 फसलों की कटाई मशीन से करने लगे हैं किसान

फसलों के अवशेष जलाने का प्रचलन बढ़ा

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि फसलों के अवशेष जलाने का प्रचलन इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि अब किसान फसलों की कटाई मशीन से करने लगे हैं और इसके वजह से फसलों के अवशेष खेतों में ही रह जाते हैं। इसे हटाना आसान नहीं होता है और किसान इन्हें जला देना आसान समझते हैं। फसलों के अवशेष को जलाने का ये प्रचलन अब पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित नहीं रह गया है।

10 किसानों को फसल के अवशेष जलाने पर हिरासत में लिया गया थाआग के सबसे अधिक निशान मध्य प्रदेश में देखे गए

आग के सबसे अधिक निशान मध्य प्रदेश में देखे गए हैं। यह राज्य गेहूं और धान की खेती में अग्रणी रहा है। एमपी के सीहोर जिले में ही इस साल 10 किसानों को गेहूं की फसल के अवशेष जलाने पर हिरासत में लिया गया था क्योंकि उनकी लगाई आग पड़ोस के खेतों तक पहुंच गई थी। आग की इस घटना में एक महिला की मौत भी हो गई थी। इसका कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है लेकिन फिर भी आर्थिक सर्वे 2018 के आधार पर फसलों की कटाई के लिए मशीनों का प्रयोग काफी बढ़ा है।

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