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हाई कोर्ट की विशेष टिप्पणी, नवंबर 2012 के पहले के अपराध पर मान्य नहीं पॉक्सो एक्ट

हाई कोर्ट की विशेष टिप्पणी, नवंबर 2012 के पहले के अपराध पर मान्य नहीं पॉक्सो एक्ट

ताज़ख़बर36गढ़:- किशोरी के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल आफेंसेज एक्ट 2012 को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने विशेष टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति एसपी गर्ग व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने स्पष्ट किया कि नवंबर 2012 के पहले हुए यौन अपराध पर पॉक्सो एक्ट मान्य नहीं होगा। यह मामला पॉक्सो एक्ट लागू होने से पहले का है। ऐसे में निचली अदालत द्वारा मामले को पॉक्सो एक्ट के तहत लेने का आधार नहीं है।

पीठ ने कहा कि पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से अधिक है और शारीरिक संबंध उसकी सहमति से बनाए गए था। ऐसे में दोषियों को दुष्कर्म की धारा के तहत दोषी नहीं माना जा सकता है और निचली अदालत का फैसला खारिज किया जाता है। हालांकि, पीठ ने यह भी कहा कि चूंकि घटना के समय पीड़िता की उम्र 18 साल से कम थी और बालिग दोषियों ने शारीरिक संबंध बनाकर उसका शोषण किया, जिससे उसने बच्चे को जन्म दिया इसलिए वह बच्चे के भरण-पोषण के लिए मुआवजा पाने की हकदार है।

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पीठ ने तेजिंदर सिंह को पांच लाख रुपये और विक्रम सिंह को आठ लाख रुपये एफडी के रूप में चार सप्ताह में निचली अदालत में जमा कराने का आदेश दिया, जो बच्चे के बालिग होने तक निचली अदालत के आदेश के बगैर नहीं निकाली जा सकेगी। हालांकि, बच्चे की देखरेख के लिए निचली अदालत निर्धारित समय से पहले धनराशि जारी करने के लिए स्वतंत्र है। निचली अदालत ने तेजिंदर सिंह को पॉक्सो एक्ट के अलावा धारा-376 के तहत दस साल की सजा व एक लाख का जुर्माना व धारा-506 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी। वहीं, दूसरे दोषी विक्रम सिंह को पॉक्सो एक्ट के अलावा धारा-376 के तहत उम्रकैद व एक लाख का जुर्माना और धारा-506 के तहत दो साल की कैद की सजा सुनाई थी।

यह था मामला

हाई कोर्ट में दायर चुनौती याचिका के मुताबिक पीड़िता ने शाहबाद डेयरी थाने में 28 जनवरी 2012 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि बवाना इंडस्ट्रियल एरिया फैक्ट्री में दोषियों ने चार से पांच महीने पहले उससे कई बार सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता का मेडिकल टेस्ट कराने पर उसके परिजनों को पता चला कि वह आठ माह की गर्भवती है। उसने मार्च 2012 में बच्चे को जन्म भी दिया। बच्चा फिलहाल हरियाणा के निजी अनाथ आश्रम में है। पीड़िता के डीएनए टेस्ट से पता चला कि दोषी विक्रम सिंह बच्चे का पिता है। सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि पीड़िता ने अपने पिता व भाई पर भी कई बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है। यह मामला निचली अदालत में विचाराधीन है।

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