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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा वामपंथियों की गिरफ्तारी का मामला, दोपहर बाद सुनवाई

(ताज़ाख़बर36गढ़) भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में राज्यव्यापी छापेमारी में पुणे पुलिस ने 5 वामपंथी विचारकों को गिरफ्तार किया है जिसको लेकर कई विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। वहीं, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के साथ कुछ अन्य लोगों ने आज सुप्रीम कोर्ट में 5 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका दायर की। वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी के बाद लेखिका अरुंधति रॉय ने भी कहा था कि लगता है इमरजेंसी की घोषणा होने वाली है।

इनकी गिरफ्तारी के बाद से ही पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं और कहा जा रहा है कि उटपटांग आरोप में इन्हें गिरफ्तार किया गया है। जबकि पुलिस का कहना है कि इनको भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने और नक्सलियों के साथ संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि इसी मामले में जांच के दौरान पीएम मोदी की हत्या की साजिश का भी खुलासा हुआ था और इसके बाद कई राज्यों में छापेमारी की गई थी।

प्रशांत भूषण ने कहा,’जो लोग भीमा कोरेगांव हिंसा में शामिल थे उनके खिलाफ कुछ नहीं किया गया। लेकिन जिन्होंने कुछ नहीं किया उनको गिरफ्तार किया जा रहा है। केवल उनको मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण गिरफ्तार किया जा रहा है। ये इमरजेंसी से भी बदतर हालात है। क्या किसी को भी नक्सलियों का साथी बताकर गिरफ्तार कर लिया जाएगा।’ वहीं, कोर्ट ने दोपहर 3:45 बजे इस मामले पर सुनवाई के लिए वक्त दिया है। 5 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले को लेकर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

बता दें कि मंगलवार को वामपंथी विचारक वरवरा राव को पुणे से गिरफ्तार किया गया। वरवरा राव पर नक्‍सलियों के समर्थन का आरोप है। इसके अलावा गौतम नवलखा को दिल्‍ली से गिरफ्तार किया गया। गौतम नवलखा के घर से पुलिस ने कई दस्‍तावेज, बैग और लैपटॉप बरामद किया है। नवलखा पर भी नक्सलियों से जुड़े होने के आरोप हैं। जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया। जबकि एक्टिविस्‍ट अरूण फेरेरा औऱ वेरनन गोंजालविस को भी गिरफ्तार किया गया था।

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