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चंद्रयान-2: विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने से दुखी देशवासियों को अब इसरो ने दी ये नई खुशखबरी…

सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन की वजह से उम्र बढ़ी
विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने से दुखी देशवासियों को इसरो ने नई सूचना से खुश कर दिया है। उसका कहना है कि चंद्रयान-2 के सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन की वजह से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा ऑर्बिटर सात वर्ष तक काम करता रहेगा। पहले की गई गणना में इसकी उम्र एक वर्ष आंकी जा रही थी। साथ ही इसरो ने मिशन को 90 से 95 प्रतिशत तक सफल बताया है।

चंद्रयान-2 एक प्रकार से 3-इन-1 मिशन था। इसमें ऑर्बिटर के साथ लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान भी भेजे गए थे। एक ही मिशन से इसरो का प्रयास चंद्रमा की सतह, सतह से नीचे और बर्हिमंडल, तीनों पर शोध करना था।

ऑर्बिटर 20 अगस्त 2019 को ही चंद्रमा की कक्षा में सफलता से दाखिल होकर करीब 120 किमी ऊंचाई पर परिक्रमा कर रहा है और बर्हिमंडल व सतह की तस्वीरें भी भेज चुका है। इसरो के अनुसार ऑर्बिटर में 0.3 मीटर रिजोल्यूशन का अत्याधुनिक कैमरा लगा है, जो अब तक किसी भी चंद्र मिशन में नहीं लगाया गया।

विशेषज्ञों के अनुसार इसके जरिये चंद्रमा की सतह पर मौजूद एक फीट जितनी बड़ी वस्तु की भी तस्वीर ली जा सकती है। इसरो ने चंद्रयान-2 को बेहद जटिल मिशन बताया और कहा कि यह इसरो के अब तक के सभी मिशन में तकनीकी तौर पर बहुत आगे है। यही वजह है कि 22 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद से पूरी दुनिया इसकी प्रगति देख रही है और काफी अपेक्षाएं रखती है।

मिशन से क्या होगा फायदा

ऑर्बिटर अब अगले कुछ समय में चंद्रमा के विकास पर हमारी समझ को बढ़ाएगा। इसके नक्शे तैयार करेगा, खनिजों का आकलन करेगा और चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी की संभावना तलाशेगा। इसके लिए इसमें आठ वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं।

इसलिए 95 प्रतिशत सफल

विक्रम लैंडर चंद्रमा के आकाश में 35 किमी की ऊंचाई से 2 किमी की ऊंचाई तक योजना के अनुसार तय अपने प्रक्षेप पथ पर चला। उसके सभी सिस्टम व सेंसर पूरी तरह ठीक रहे। सफलता के लिए तय हर एक चरण के मानकों के अनुसार मिशन ने अब तक 90 से 95 प्रतिशत उद्देश्य पूरे किए हैं। लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद ऑर्बिटर से हमें चंद्रमा को लेकर काफी जानकारियां व डाटा मिलता रहेगा।

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