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देश

सिंध-चंबल में पनडुब्बी से खुलेआम रेत उत्खनन, भिंड के बीहड़ों में रेत माफियाओं का राज

भिंड, मुरैना और दतिया से हर महीने 500 करोड़ की रेत का उत्खनन-परिवहन हो रहा

बेखौफ माफिया डीएफओ के बंगले के पीछे ही अवैध रेत डंप कर रहा

ग्वालियर-चंबल से लौटकर प्रमोद कुमार त्रिवेदी. अब ग्वालियर-चंबल बीहड़ों और डकैतों के लिए नहीं जाना जाता। सामाजिक बदलाव के चलते यहां अपराध भी कुछ कम हुए हैं, लेकिन एक नए अपराध ने जन्म लिया है। अवैध रेत का कारोबार। यहां दिनदहाड़े अवैध रेत का उत्खनन और परिवहन हो रहा है। खुलेआम अवैध रेत की मंडी लग रही है। प्रकृति को नुकसान पहुंचाकर करोड़ों का वारे-न्यारे करने वाला यह अवैध व्यवसाय बंदूक की दम से ज्यादा नेताओं और पुलिस की पार्टनरशिप में फल-फूल रहा है। इस क्षेत्र के ज्यादातर नेता और उनके समर्थक रेत के कारोबार से जुड़े हैं।

संभागीय मुख्यालय ग्वालियर हो या दतिया-भिंड। रोज अवैध रेत की मंडी लगती है। दिन में भी रेत से लदे डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़क पर देखे जा सकते हैं, जो रात होते-होते सैकड़ों की संख्या में पहुंच जाते हैं। अवैध रेत उत्खनन और परिवहन की कमाई का लालच ऐसा है कि सिंध और चंबल नदी के किनारे बसे तकरीबन 350 गांव के 10 हजार से ज्यादा परिवारों ने अवैध रेत के व्यवसाय को अजीविका का साधन बना लिया है।

बात सरकार की करें तो उसके मंत्री खुलकर पुलिस पर अवैध परिवहन का आरोप लगा रहे हैं तो कांग्रेस के ही विधायक एक मंत्री के अवैध उत्खनन में शामिल होने का दावा कर रहे हैं। कांग्रेस के कद्दावर मंत्री गोविंद सिंह ने खुलकर चंबल आईजी पर अवैध उत्खनन-परिवहन का आरोप लगाया तो गोहद विधायक रणवीर जाटव ने गाेविंद सिंह पर रेत माफियाओं से मिलीभगत का आरोप लगा दिया। अवैध रेत के कारोबार पर सत्तासीन नेताओं के बयान आए तो भास्कर ने चंबल में पैर पसार चुके अवैध रेत के कारोबार और नेता-पुलिस के बीच चल रही नूरा-कुश्ती की पड़ताल की।

भास्कर पड़ताल : रेत माफिया नहीं, बल्कि प्रशासन खौफ के साये में

हमने देखा कि मुरैना में अवैध रेत माफिया नहीं, बल्कि पुलिस और प्रशासन खौफ के साये में है। मुरैना में शहर के बीचों-बीच अवैध रेत की मंडी लगती है और उत्तर प्रदेश-राजस्थान के लिए रेत के डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली जाते हैं। भिंड में सिंध के किनारे तकरीबन हजार करोड़ की रेत डंप है। ग्वालियर में रात में रेत के डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली खुलेआम निकल रहे हैं। दतिया के तीन थाना क्षेत्रों में रेत की मंडी लग रही है।

भिंड में माफियाओं के पास करोड़ों की अवैध रेत

भिंड जिले में सिंध नदी से लगा ऐसा कोई भी गांव नहीं, जहां अवैध रेत के डंप न हों। मुरैना के बाद भिंड पहुंचे तो यहां रेत के डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़कों पर अवैध परिवहन करते दिखे। हम रेत माफियाओं के पास पहुंचे और उनसे कहा कि हमें कुछ घाट देखना है। हम नीलामी में ठेके लेना चाहते हैं। गांवों के कुछ रास्ते भी देखना चाहते हैं। हमने रेत माफियाओं को पार्टनरशिप का ऑफर भी दिया। उन्हें बताया कि नई रेत नीति में बड़े ठेके होंगे तो तुम्हें भी साथ रखकर काम करेंगे। रेत ठेकेदार हमें क्षेत्र दिखाने के लिए तैयार हो गए और हम अपनी गाड़ी से चल पड़े बरोही थाना क्षेत्र के गांवों की तरफ। हम भिंड शहर से 12 किलोमीटर ही चले थे कि तकरीबन 300 डंपर रेत का डंप दिखा। माफिया ने बताया कि ये अवैध डंप है। यहां इकट्‌ठा करते हैं और वाहनों से सप्लाई करते हैं। थाेड़ा आगे निकलने पर एक डंपर दिखा, जिसमें से पानी टपक रहा था। माफिया ने बताया कि ये नदी में पनडुब्बी लगाकर रेत निकाली गई है और सीधे डंपर में भरी गई है। इसीलिए पानी टपक रहा है।

सड़क किनारे रेत के ढेर
बरोही थाने के 500 मीटर पहले और बाद में भी सड़क किनारे रेत के बड़े-बड़े ढेर लगे हुए थे। आगे जाने पर भरोली कलां, भारोली खुर्द, गोरमी, गोरम, अड़ोखरा, अमायन, अजीता, राजवरेठी गांव आए। इन सभी गांव में सैकड़ों डंपर रेत का अवैध भंडार था। ये गांव मेहगांव विधानसभा में आते हैं। इंद्रखी के पहले सिंध नदी के पुल पर पहुंचे तो देखा कि रेत माफिया खुलेआम पनडुब्बी लगाकर रेत का अवैध उत्खनन कर रहे थे। हमारी गाड़ी मंे बैठे रेत माफिया हमें प्रशासन-पुलिस और नेताओं की मिलीभगत की कहानी सुनाते रहे। रेत के अवैध अंबार को देखते हमइंद्रखी, निवासाई, खैरा, श्यामपुर, ढोंचरा पहुंचे। ये गांव भिंड विधानसभा में आते हैं। इसके बाद अजनार, मढोरी, छोटी मटयावली, बड़ी मटयावली, परांच गांव पहुंचे। इन गांवों में भी रेत के ढेर और पहरेदार दिखे। हमारी गाड़ी में रेत माफिया को देखकर गांव वालों ने हमें भी अपना साथी समझा। रेत माफिया ने बताया कि अगर हम साथ नहीं होते तो ये अनजान व्यक्ति को देखते ही हमला कर देते हैं। पुलिस-प्रशासन के लोगों को भी नहीं छोड़ते।

ग्वालियर : शहर में रातभर चलते हैं डंपर

ग्वालियर में अवैध रेत के परिवहन को देखने हम रात 12 बजे के बाद शहर में निकले। शिवपुरी लिंक रोड पहुंचे तो देखा कि रेत से भरा डंपर चला जा रहा है। पुलिस ने एक जगह बैरियर भी लगा रखे थे, लेकिन इस डंपर को किसी ने नहीं रोका। हम ग्वालियर शहर की सड़कों पर जैसे-जैसे आगे चले, रेत से भरे डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली दिखते गए। पुलिस वाले उन वाहनों को रोक रहे थे, जो टोल बैरियर बचाने के लिए ग्वालियर शहर से गुजर रहे थे, लेकिन उन्हें इन रेत के वाहनों से कोई मतलब नहीं था। सुबह 6 बजे से विक्की फैक्ट्री क्षेत्र और राउली क्षेत्र में ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर आकर खड़े हो गए। ये लोग दो तरह से रेत का सौदा कर रहे थे। पहला- स्वयं घर तक रेत पहुंचाने की जवाबदारी ले रहे थे। इसमें प्रति ट्रॉली रेत 200 रुपए महंगी मिलती है। दूसरा- सौदा होने के बाद खरीददार की जवाबदारी रहती है कि वो घर तक कैसे वाहन पहुंचाता है।

उत्तरप्रदेश में सिंध की रेत की सबसे ज्यादा डिमांड

उत्तरप्रदेश के शहरों में चंबल की रेत को निम्न दर्जे की माना जाता है। जबकि सिंध नदी की रेत की सबसे ज्यादा डिमांड है। रेत माफिया बताते हैं कि हम सिंध और चंबल की रेत को मिलाकर सिंध नदी की रेत के नाम से बेचते हैं। इटावा, लखनऊ, आगरा, मथुरा तक तकरीबन 2000 वाहनों से रोज रेत पहुंचती है। उत्तरप्रदेश में पहुंचकर रेत के रेट दोगुना हो जाते हैं। रेत का जो हाइवा मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 35 हजार का मिलता है, उत्तरप्रदेश के शहरों में उसकी कीमत 50 हजार रुपए तक हो जाती है। लखनऊ में एक हाइवा की कीमत 75 हजार से लेकर 1 लाख 40 हजार रुपए तक होती है। जबकि होशंगाबाद-जबलपुर में एक हाइवा 25 हजार रुपए में मिलता है।

इटावा-लखनऊ तक जाते हैं अवैध डंपर

भिंड से रोन, ऊमरी, दमो थाना होते हुए सीधे अवैध रेत के डंपर इटावा, लखनऊ पहुंचते हैं। वहीं, मुरैना से सरायछोला थाने के रास्ते से आगरा, मथुरा तक रेत आसानी से पहुंच जाती है। दतिया में बढ़ोनी, दीयार, थरेट, अतरेंटा थाना क्षेत्रों से रेत ग्वालियर के अलावा झांसी, ललितपुर तक जाती है।

रेत माफिया बोले- रेत से कमाई, इसलिए बाकी अपराध छोड़ दिए

हम रेत माफियाओं से मिले तो उनके अपने तर्क थे। उनका कहना था कि हम कमाई में लग गए हैं। इसलिए अपराध छोड़ दिया है, वरना पहले तो रोज गोलियां चलती थीं। जब इनसे पूछा कि अवैध कारोबार के अलावा पढ़ाई कर या मेहनत-मजदूरी कर गुजर नहीं कर सकते तो बोले कि उसमें इतना पैसा नहीं है। फिर सभी में इतना दिमाग नहीं होता कि अच्छी पढ़ाई कर सकें। भिंड के स्थानीय विधायक संजीव कुशवाह कहते हैं कि यहां कोई विकास नहीं हुआ। मालनपुर आता तो भिंड में है, लेकिन उसका लाभ ग्वालियर को मिलता है। जब रोजगार ही नहीं होगा तो लोग गलत रास्ते पर जा सकते हैं। हम कहते हैं कि अवैध उत्खनन ही रोक दो और छोटे-छोटे ठेके दो तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा और रॉयल्टी से सरकार की कमाई भी होगी।

माफियाओं ने घाट बांट लिए, पनडुब्बी और जेसीबी से रेत निकालते हैं

दतिया जिले में डबरा से लेकर ग्वालियर तक सिंध नदी में पनडुब्बी और जेसीबी से रेत निकाली जा रही है। रेत माफियाओं ने बैठक कर नदी के घाट बांट लिए हैं। इससे आपस में झगड़ा नहीं होता और पुलिस प्रशासन से एकमुश्त डील हो जाती है। सरकार की बात करें तो कद‌्दावर मंत्री गोविंद सिंह ने चंबल आईजी पर अवैध रेत परिवहन का आरोप लगाया था। तीसरे ही दिन पलटी खाते हुए अवैध परिवहन पर रोक लगने का बयान दिया था। चंबल में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रसाल सिंह तो खुलकर कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह पर अवैध रेत परिवहन का आरोप लगाते हैं। सरकार को समर्थन दे रहे बसपा से भिंड विधायक संजीव सिंह कुशवाह कहते हैं कि अवैध उत्खनन और परिवहन हो रहा है। सरकार अवैध उत्खनन रोक दे तो परिवहन अपने आप रुक जाएगा।

हम कोशिश कर रहे हैं, माइनिंग में स्टाफ नहीं है
चंबल रेंज के आईजी डीपी गुप्ता से जब भास्कर ने सवाल किए तो उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि रेत माफियाओं पर लगाम लग सके। हमने 22 पॉइंट पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव भी भेजा है। नई रेत नीति में ट्रकों में जीपीएस लगाने का नियम आ रहा है, लेकिन जीपीएस की रियल टाइम रिपोर्ट का इश्यू तो रहेगा ही। खनिज विभाग के पास तो अमला ही नहीं है, लेकिन सीमित संसाधनों में जो बेहतर हो सकता है, हम कर रहे हैं।’’

भाजपा नेता बोले- लहार में ही 400 डंपर रेत का कारोबार

भिंड में भाजपा नेता और पूर्व मंत्री रसाल सिंह कहते हैं कि सरकार अगर रोकेगी तो किसी की अवैध उत्खनन की हिम्मत नहीं है। वो कहते कुछ रहें, लेकिन ये अवैध उत्खनन तो भाजपा के राज्य में भी गोविंद सिंह के लोग कर रहे थे और अब भी कर रहे हैं। इनकी ऊपर बदनामी हो रही थी, इसलिए बचने के लिए पुलिस पर आरोप लगाया। भिंड में रोजाना 1000 ट्रक का कारोबार है। केवल लहार विधानसभा क्षेत्र में ही रोजाना 400 डंपर का अवैध कारोबार होता है।

बसपा विधायक ने कहा- अवैध खनन पहले भी हो रहा था और अब भी हो रहा है

भिंड से बसपा विधायक संजीव कुशवाह कहते हैं कि अवैध उत्खनन तो पहले भी हो रहा था और अब भी हो रहा है। सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे सभी को रोजगार मिले। सरकार की रेत नीति भी गलत है। छोटे-छोटे ठेके देकर अवैध उत्खनन पर लगाम लगाना चाहिए। जब उत्खनन ही नहीं होगा तो परिवहन का सवाल ही नहीं उठता।

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