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राजनीति

भाजपा प्रदेश सह प्रभारी नितिन नबीन ने कहा, आजादी में नेहरू और गांधी ने नहीं दिया योगदान…शुरू हुई सियासत

आजादी में नेहरू और गांधी के सामने सावरकर और गोडसे कहां है। नीतिन नबीन ने बताया कि देश की आजादी में वीर सावरकर ने आत्मबलिदान किया। उस समय ना तो गांधी सामने

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में फिर से सावरकर के मुद्दे को लेकर राजनीति तेज हो गई है । भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश के सह प्रभारी नितिन नबीन के बयान पर बिलासपुर के विधायक शैलेष पांडेय ने जवाब देते हुए पूछा है कि आखिर 3 बार माफी किसने मांगी।

शैलेष पांडेय ने कहा कि जब- जब देश का इतिहास पढ़ा, लिखा और सुना जाएगा। सावरकर का नाम आएगा लेकिन बलिदानियों में नही, बल्कि आजादी के परवानों के खिलाफ और अंग्रेजों की मुखबीरी करने में। इतिहास बहुत निर्मम होता है। वह किसी को माफ नहीं करता। भाजपा जितना भी पालिस करे…सावरकर देश अंग्रेज परस्त थे…है और आने वाले समय भी रहेगा।

जानकारी देते चलें कि भाजपा कार्यालय बिलासपुर में भाजपा प्रदेश सह प्रभारी नितीन नबीन ने पत्रकारों से संवाद किया। इसी दौरान एक पत्रकार ने सवाल किया कि देश की आजादी में नेहरू और गांधी के सामने सावरकर और गोडसे कहां है। नीतिन नबीन ने बताया कि देश की आजादी में वीर सावरकर ने आत्मबलिदान किया। उस समय ना तो गांधी सामने आए और ना ही नेहरू। कोई कांग्रेसी सामने नहीं आया। नेहरू का आजादी में कोई योगदान नहीं है। नीतिन नबीन ने यह भी कहा कि आजादी के समय नेहरू ने किसी भी आंदोलन में भाग नहीं लिया।

बयान मीडि़या में आने के बाद नगर विधायक शैलेष पाण्डेय ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि शुतुरमूर्ग का नाम तो सभी ने सुना ही होगा। सिर छिपाने से सच्चाई छिप नहीं जाएगी। शैलेष ने कहा कि गांधी परिवार का देश की आजादी में जितना योगदान है। इसकी जानकारी तो भाजपा नेताओं को तो होगी ही। भाजपा अपने पितृ संगठन आरएसएस से पूछे कि कोई ऐसा क्रांतिकारी बताए जिसने आजादी के पर्व पर नाखून का भी बलिदान किया हो।

शैलेष ने कहा कि नेहरू परिवार ने ब्रिटिश हुकुमत का विरोध करते हुए कुल 43 साल की जेल की यातनाएं झेली है। इसमें अकेले पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 साल की सजा काटी है। 1942 में जब गांधी ने एलान किया कि हमें सूरज उगने से पहले देश को आजाद कराना है। उस समय यही सावरकर अंग्रेजों की जी हुजूरी कर रहे थे। अंग्रेजों से पेंशन लेने वाले सावरकर ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया। मजेदार बात है कि इसके लिए ब्रिटिश हुकुमत ने सावरकर को अपना वफादार बताकर सम्मानित भी किया।

शैलेष ने कहा कि सच तो यह है कि नितीन को शायद बिहार की भौगोलिक स्थिति की भी जानकारी नहीं होगी। नेहरू को बिहार में ही जेल की सजा मिली। और उस समय सावरकर अंग्रेजों की जी हुजूरी कर रहे थे। शैलेष ने कहा कि शर्म आती है कि जिस तिरंगा को लेकर आज भाजपा और आरएसस के नेता आन बान शान की बात कर रहे हैं। उसी आरएसएस कार्यालय में 53 साल तक झंडा नहीं लहराया। एक भी क्रांतिकारी पैदा नहीं किया। बल्कि गांधी को मारने के लिए गोडसे को जरूर पैदा किया। उस समय भी गोडसे से नेहरू ने कहा कि यदि बापू की पार्थिव शरीर के सामने गोडसे माफी मांग ले तो उसे कोई सजा नहीं मिलेगी।

शैलेष ने नितीन नबीन के बयान पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें एक बार बलराज मधोक की किताब जरूर पढ़नी चाहिए कि आखिर दीनदयाल उपाध्याय की हत्या कैसे हुई और किसने किया। सच तो यह है कि भाजपा के चाहने भर से नेहरू को सदियों तक झुठलाया नहीं जा सकता है। आज दुनिया के 145 देशों में नेहरू के योगदान को अलग अलग संस्थानों के माध्यम से याद किया जाता है। लेकिन षड़यंत्रकारी गतिविधियों के उपासक नीतिन नवीन को इसकी जानकारी शायद ही होगी। तभी तो उन्हें सावरकर को बलिदानी नजर आते हैं। शैलेष ने यह भी कहा कि नितिन को बताना चाहिए कि वह एकलौता इंसान कौन है जिसने जेल से निकलने के लिए तीन बार अंग्रेजो से लिखित माफी मांगी है।

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