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बिलासपुर

बिलासपुर: एसईसीएल मुख्यालय का घेराव कर केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेसियों का हल्ला बोला…

कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए और जमकर हंगामा मचाया। एसईसीएल मुख्यालय का घेराव करने पहुंचे कांग्रेसिसयों ने मुख्यालय के सामने प्रदर्शन कर केंद्र की मोदी सरकार

बिलासपुर। एसईसीएल के कोयला खदान आबंटन नीति के विरोध में मंगलवार को कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए और जमकर हंगामा मचाया। एसईसीएल मुख्यालय का घेराव करने पहुंचे कांग्रेसिसयों ने मुख्यालय के सामने प्रदर्शन कर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला। इस दौरान नेताओं ने कहा कि केंद्र की सरकार सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में सौंप रही है, जिससे छत्तीसगढ़ के युवाओं का रोजगार छीन जाएगा। कांग्रेस नेताओं ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस की सरकार आने पर निजी खदानों को वापस लिया जाएगा।

एसईसीएल ने रायगढ़ जिले के पेलमा कोयला खदान का संचालन माइन डेवलपर एंड आपरेटर (एमडीओ) मोड पर करने का फैसला किया है। इसके लिए एसईसीएल ने अदानी समूह की कंपनी पेलमा कोलियरीज से एग्रीमेंट किया गया है। समझौते के अनुसार कोलियरीज अगले 20 वर्षों तक इसका संचालन करेगी। जिला कांग्रेस कमेटी के बैनर तले आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में शहर के साथ ही जिले भर के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता एसईसीएल पहुंचे, जहां सभा का आयोजन किया गया।

इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका कहना था कि केंद्र की मोदी सरकार एयरपोर्ट के साथ ही रेलवे का निजीकरण करने की दिशा में काम कर रही है। वहीं अब देश भर में सर्वाधिक आय देने वाली कोल कंपनी SECL की खदान को निजी हाथों में सौंपने का षडयंत्र कर रही है। इसको लेकर जिला कांग्रेस कमिटी ने आज एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर के सामने घंटो धरना प्रदर्शन किया और बाद में घेराव के बाद एसईसीएल को ज्ञापन सौंपा।

वही रायगढ़ से आए समाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है की वे पिछले 10 वर्षो से खदानों को बचाने का काम कर रहे है। पर ताज्जुब की बात तो यह है की आजतक किसी भी पार्टी के जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध नही किया बड़ी बात तो यह है की जिले में कांग्रेस के 5 विधायक है और बीजेपी की एक सांसद किसी ने भी विरोध दर्ज नही कराया। समाजिक कार्यकर्ता का कहना है की कोल डस्ट के कारण यहां का पर्यावरण प्रदूषित होता ही जा रहा है। पानी दूषित होने से सिलकोलिसीस जैसे गंभीर बिमारी ने ग्रामीणों को जकड़ लिया है। अब इसके बाद भी खदानों को बचाया नहीं जायेगा तो, मामले को लेकर हम कोर्ट की शरण जायेंगे।

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