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बिलासपुर: सांसद पिता पर रवि शंकर युनिवर्सिटी से शोध कर हासिल किया पीएचडी की उपाधि…

बिलासपुर। एक बेटे ने अपने ही पिता पर शोध कर हासिल की पीएचडी की उपाधि, संभवतः ये देश का पहला बेटा है जिसने अपने पिता के व्यक्तित्व, ईमानदारी और सादगी से प्रभावित होकर अन्य विषयों को छोड़ पिता को शोध का विषय बनाया। जी हां हम बात कर रहे है देश के पहली संसद में चुने गए सांसद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और बिलासपुर लोक सभा क्षेत्र के प्रथम सांसद स्वर्गीय रेशम लाल जांगड़े की। 30 साल की लंबी राजनीति के बाद भी रेशम लाल जांगड़े का परिवार सामान्य जीवन जी रहा है। पिता के इस राजनैतिक जीवन को जानने की जिज्ञासा ने बेटे हेमचंद जांगड़े को पिता को ही शोध का विषय बनाने पर मजबूर कर दिया। हेमचंद ने रवि शंकर युनिवर्सिटी रायपुर से पिता पर शोध कर पीएचडी की उपाधि हासिल की है।

रेशम लाल जांगडे़ का जन्‍म 15 फरवरी 1925 को वर्तमान में बलौदा बाजार के परसाड़ी गांव में हुआ था। 1949 में उन्‍होंने नागपुर कॉलेज से कानून में स्‍नातक की डिग्री प्राप्‍त की थी। ऐसा कर वे सतनामी समाज के पहले ग्रेजुएट बन गए थे। 17 साल की उम्र में जांगड़े ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्‍सा लिया। 1950 में उनका अं‍तरिम संसद में चयन हुआ जिसके बाद 1952 में जांगड़े बिलासपुर से चुनाव लड़ लोकसभा पहुंचे। 1962 तक वे बिलासपुर से सांसद रहे इसके बाद उन्‍होंने भटगांव से विधानसभा का चुनाव लड़ा। तब छत्‍तीसगढ़ और मध्‍यप्रदेश एक था। 1967 में मध्‍यप्रदेश सरकार में मंत्री चुने गए। आपातकाल के दौरान रेशम लाल जांगड़े ने जनता पार्टी का दामन थाम लिया और फिर इसी से चुनाव लड़ते रहे। 1993 में उन्‍होंने राजनीति छोड़ सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देना शुरू कर दिया। खुद को होने वाली आय से वे गरीब बच्‍चों के लिए कॉपियां और किताबें खरीदते थे।

स्वर्गीय रेशम लाल जांगड़े के छोटे पुत्र। पिता की सादगी और सरलता को इन्होंने अपने जीवन में उतार लिया है। आप देख सकते है की एक महान नेता के पुत्र और उनका पुरा परिवार रायपुर के जनता क्वॉर्टर में रह रहे है। आज भी उनका पुत्र रिक्शे से आना जाना करते हैं। रेशम लाल जांगड़े के पुत्र हेमचंद्र जांगड़े का कहना है कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने उनके पिता को भुला दिया है। छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थी तब भी उन्होंने अपने पिता रेशम लाल जांगड़े के नाम से किसी स्कूल, कॉलेज, मार्ग इत्यादि का नाम रखे जाने की मांग की थी। लगातार यह मांग करते रहे कि पाठ्यपुस्तकों में रेशमलाल जांगड़े के बारे में पढ़ाया जाये, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। हेमचंद्र जांगड़े अब बिलासपुर सिम्स का नाम अपने पिता के नामपर रखने की मांग कर रहे हैं। हेमचंद ने पिता की हुई उपेक्षा को समझने रविशंकर यूनिवर्सिटी से पिता पर ही शोध करते हुए पीएचडी की उपाधि हासिल की है।

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